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सिनेमाघारों में सुरक्षा के नाम पर चांदी कूटने का खेल

locationजयपुरPublished: Jan 07, 2018 11:23:17 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

सिनेमाघरों में खाने—पीने की चीजों के नाम पर चांदी कूटने का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

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सुरक्षा के नाम पर बाहर से खाद्य वस्तु लाने पर पाबंदी लगा रखी है और लोगों को सिनेमाघर के भीतर मनमाने दामों पर सामान खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है। जबकि, सिनेमाटोग्राफ एक्ट, 1952 में सिनेमोघर के भीतर खाद्य सामान ले जाने पर किसी तरह की रोक का प्रावधान नहीं है। राज्य सरकार स्तर पर भी ऐसा कोई कानूनी या वैधानिक प्रावधान नहीं है, जो सिनेमाघरों के अंदर पानी या खाद्य सामग्री ले जाने से रोकता हो। इसके बावजूद संचालक मनमाने तरीके से लोगों को रोक रहे हैं। भीतर 15 रुपए के समोसे के 50 रुपए तक वसूले जा रहा है। ऐसे सिनेमाघर संचालकों के खिलाफ और जनता को राहत देने के लिए न तो पुलिस कमिश्नरेट कार्रवाई कर रहा है और न ही उपभोक्ता मामलात विभाग सक्रिय है। जबकि, लोगों से पानी की बोतल से लेकर चिप्स के पैकेट तक खुदरा मूल्य से काफी अधिक रुपए लिए जा रहे हैं। शहर में 24 सिनेमाघर—मल्टीप्लेक्स संचालित हैं।
ज्यादा दर वसूलने पर कारावास तक का प्रावधान…
—अंकित मूल्य से ज्यादा दर पर उत्पाद बेचने पर पैकेज्ड कमोडिटी रूल्स, 2011 के तहत कार्रवाई होती है। इसमें भारी जुर्माने वसूलने से लेकर सीलिंग व कारावास तक की सजा का प्रावधान है। गंभीर यह है कि जुर्माना राशि केवल 500 से 10 हजार रुपए तक ही राशि है, जो मौजूदा स्थिति में काफी कम है। अगामी 3 वर्ष में यही गलती दोहराने पर कारावास हो सकती है। इसमें 3 माह से 1 साल तक का करावास होगा।
—निर्धारित मात्रा से कम सामग्री मिलने पर वस्तु को जब्त करने का प्रावधान है। शिकायत सही पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाता है।
—यह कार्रवाई उपभोक्ता मामलात विभाग करता है। लोग सीधे विभाग में शिकायत कर सकते हैं।

नियम से बचने के लिए यूं चल रहा खेल..
—पैकेज्ड कमोडिटी रूल्स, 2011 के दायरे में पैकेज्ड उत्पाद आते हैं। लेकिन ज्यादातर सिनेमाघर, मल्टीप्लेक्स संचालकों ने नियम से बचने के लिए तोड़ निकाला हुआ है।
—पैकेज्ड आइटम की जगह ज्यादातर खुले में खाद्य सामग्री की बिक्री की जा रही है। इसमें पॉपकॉन, पेस्ट्री, पेटीज, कोल्डड्रिंक, समोसे, सेण्डविच, पिज्जा, चाय—कॉफी, आइसक्रीम सहित फास्टफूड उत्पाद शामिल है।
—ऐसे सभी उत्पाद में मात्रा तो निर्धारित होती है, लेकिन रेट 4 से 6 गुना तक ली जा रही है। मसलन,कोल्डड्रिंक की 750 एमएल की पैकेज्ड बोतल पर अंकित मूल्य 40 रुपए है और बाजार में इसी कीमत पर बेची जा रही है। लेकिन सिनेमाघर में यह 750 एमएल कोल्डड्रिंक के 120 से 140 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। कॉम्बो पैक के नाम पर तो राशि और भी बढ़ जाती है।
—सिनेमाघर संचालकों पर उपभोक्ता मामलात विभाग इसी की आड़ लेते हुए कार्रवाई करने से बचता रहा है।

किसकी कितनी वसूली….
खाद्य सामग्री—————अंकित बिक्री मूल्य—————ली जा रही कीमत
मिनरल वाटर—————— 20 रुपए————————— 30 से 50 रुपए
चिप्स पैकेट——————— 10 से 50 रुपए———— 30 से 120 रुपए
नमकीन पैकेट————— 10 से 50 रुपए———— 30 से 160 रुपए
बिस्किट पैकेट————— 10 से 50 रुपए———— 35 से 100 रुपए
कोलड्रिंग्स———————— 10 से 100 रुपए——— 50 से 300 रुपए
चॉकलेट————————— 10 से 200 रुपए——— 30 से 350 रुपए
समोसा———————————10 से 12 रुपए———— 30 से 50 रुपए
पॉपकॉन——————————15 से 50 रुपए———— 50 से 150 रुपए
बर्गर————————————30 रुपए प्रति पीस—— 120 रुपए तक प्रति पीस

बॉम्बे हाईकोर्ट में उठी आवाज, सरकार से मांगा जवाब
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। तीन दिन पहले इसके आदेश जारी किए हैं। अदालत ने पूछा है कि जब सुरक्षा गार्ड सिनेमा हॉल में घुसने वाले लोगों की तलाशी लेते हैं। उनके बैग की जांच करते हैं, इसके बावजूद खाने के सामान को निकालने और उन्हें थिएटर से खाने की सामग्री खरीदने के लिए मजबूर करने की क्या आवश्यकता है। एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें थिएटरों और मल्टीप्लेक्सों में बाहर से खाने का सामान ले जाने की मनाही को चुनौती दी गई है। बताया जा रहा है कि इसके बाद मुंबई में कई सिनेमाघर संचालकों ने खाद्य वस्तु को अंदर ले जाने की अनुमति दे दी है।

जिम्मेदार विभाग : पुलिस कमिश्नरेट, उपभोक्ता मामलात विभाग व रसद विभाग
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—लाइसेंस पुलिस कमिश्नरेट जारी करता है लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर, इमारत व सुरक्षा से जुड़ी स्थितियां हम देखते हैं। खाने का सामान अंदर ले जाने से रोकने का मामले में क्या नियम है, इसे दिखवाकर लोगों को सहुलियत दिलाने पर का कराएंगे। —सौरभ कोठारी, एडिशनल डीसीपी (लाइसेंस), पुलिस कमिश्नरेट

—पैकेज्ड कमोडिटी रूल्स के तहत डिब्बाबंद वस्तुओं पर अंकित मूल्य से ज्यादा दर लेने पर कार्रवाई की जाती है। सिनेमाघरों में ऐसा हो रहा है तो जुर्मान से लेकर करावास तक हो सकती है। खाद्य सामान भीतर ले जाने वाला मामला इस अधिनियम के तहत नहीं आता है। —चंदीराम जेसवानी, उपनियंत्रक (विधि माप विज्ञान), उपभोक्ता मामलात विभाग
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