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जयपुर

बघेरो पर शिकारियों की नजर, आए दिन फंदे में फंस रहे बघेरे, खतरे में जान

वन विभाग की सुस्ती : ढाई वर्ष में एक दर्जन से ज्यादा मामले आए सामने, कई बघेरे मौत के घाट उतार दिए तो कइयों के पांव तक टूट चुके

जयपुरJan 28, 2022 / 12:39 pm

Devendra Singh

देवेंद्र सिंह राठौड़/जयपुर. भोजन की तलाश में भटक रहे बघेरों पर भूखो मरने से ज्यादा जान गंवाने का खतरा मंडरा रहा है। कारण कि प्रदेश मेें इन दिनों शिकारी उन पर ताक लगाए बैठे हैं। आए दिन लोहे के फंदे लगाकर उन्हें फंसा रहे हैं। इस महीने कई वन क्षेत्रों में ऐसी घटना सामने आई हैं। ऐसा लगातार हो रहा है इसके बावजूद अफसर इसको लेकर सुस्त हैं। दरअसल, प्रदेश में बघेरों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। इनकी सुरक्षा व प्रबेस (भोजन-पानी) को लेकर सरकार व विभाग के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। हालात ये हैं कि भूख-प्यास के कारण भटकना भी इनके लिए खतरे से खाली नहीं है क्योंकि इन दिनों फिर से शिकारी गैंग सक्रिय हो गई है। इनके भूख-प्यासे भटकने का शिकारी फायदा उठा रहे हैं। वे शिकार के लिए फंदे लगा रहे हैं। ऐसी कई घटनाएं सामने आ भी चुकी हैं और आ भी रही है, जिसमें कई बघेरे मौत के घाट उतारे गए तो कइयों के पांव तक टूट चुके और कुछेक को बचाया भी गया है। वन अधिकारियों के मुताबिक उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर व अजमेर समेत कई जिलों में गत ढाई वर्ष में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे केस सामने आ चुके है। इतना ही नहीं, राजधानी के समीप जयसिंहपुरा खोर व नाहरगढ़ वन अभयारण्य क्षेत्र में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। हाल ही में उदयपुर जिले में महज 17 दिन मेें पाणुंद व जयसमंद के जंगल में दो घटनाएं हो चुकी हैं। जयसमंद में बघेरे की फंदे के कारण जान भी चली गई। वह फंदे से लटका मिला था। इधर, अलवर जिले में 3 बघेरों के शव मिले हैं। इनके शरीर पर कोई चोट या संघर्ष के निशान नहीं मिले। हैरत की बात है कि ऐसी करतूत करने वालों को वन महकमे के अफसर पकड़ तक नहीं पा रहे है।

यों खतरनाक हो रहा साबित

सामने आया कि, ज्यादातर फंदे आबादी इलाके के समीप में लगाए जा रहे हैं, जहां लोग मवेशियों को शिकार से बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। क्योंकि जंगल में भोजन न मिलने से कई बार वह गांवों में आ जाते है। दूसरी बार इनका रेस्क्यू भी समय पर नहीं हो पाता। इसलिए भी जान गंवा देते हैं।


बाघों पर ध्यान, बघेरों पर नहीं

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि अफसरों का बाघों पर ध्यान है बघेरों पर नहीं। जब भी ऐसी घटना सामने आती है अफसर खानापूर्ति कर लेते हैं। कभी-कभार आरोपी पकड़ में आते हैं। ज्यादातर में खाली हाथ ही रहे हैं। इससे साफ है कि अफसर गंभीर नहीं है।

यह घटनाएं भी आईं सामने

– अजमेर जिले के केसरपुरा गांव में बघेरा फंदे में फंस गया, उसे अगले दिन निकाला गया।

– अजमेर जिले में ही खरवा के समीप फंदे में फंसे बघेरे को 24 घंटे बाद निकाला गया।

– बांसवाड़ा के बारी सिया तलाई वन क्षेत्र में एक बघेरा फंदे में 6 घंटे तक फंसा रहा। उसे रेस्क्यू किया गया।

-उदयपुर के सलूम्बर में एक खेत में मवेशियों का शिकार करने आया बघेरा शिकारियों के फंस गया। उसे लोगों ने बचाया। वहीं कुराबड़ क्षेत्र में फंदे में फंसा एक बघेरा मृत भी मिला।
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