उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित मेडीकल बोर्ड की ओर से मेडिकल रिपोर्ट पेश कि गई थी। जिसमें कहा था कि पीड़िता 14 सप्ताह और 5 दिन की गर्भवति है। जिसके बाद न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने राजगढ एसएचओं को आदेश दिये है कि वो पीड़िता के परिजनो से संपर्क पर शीघ्र से शीघ्र पीड़िता को सीएमएचओं के समक्ष पेश करे। वो पीड़िता का चिकित्सको की उचित देखरेख में गर्भपात कराए। साथ ही अदालत ने गर्भपात के पश्चात भ्रूण को साक्ष्य के लिए सुरक्षित रखने के भी आदेश दिये है। गौरतलब है कि नाबालिग पीड़िता के भाई ने एक याचिका दायर कर हाईकोर्ट से अपनी बहन के गर्भपात की अनुमति मांगी थी। याचिका में कहा था कि पीड़िता का अपहरण कर दुष्कर्म किया गया है। पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद पीड़िता को हरियाणा से बरामद किया गया। इस दौरान पता चला कि पीड़िता दुष्कर्म के कारण गर्भवती हो गई है। ऐसे में पीड़िता को उसके भविष्य को देखते हुए गर्भपात करवाने की मंजूरी दी जाए।