सरकार ने 20 जनवरी 2014 को परमेंशचंद्र कमेटी का पुनर्गठन किया था। इससे पहले पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में भी नए जिले बनाने के लिए मई, 2012 में सेवानिवृत आईएएस जी.एस.संधू की कमेटी बनाई थी। लेकिन 2013 में सरकार बदलने के बाद इस समिति के स्थान पर नई समिति बना दी गई।
50 से अधिक प्रस्तावों पर हुआ विचार सूत्रों के अनुसार समिति ने 50 से अधिक नए जिलों के प्रस्तावों पर विचार किया था। बताया जाता है इनमें से पांच नए जिलों की अनुशंषा भी की गई, लेकिन अब तक न यह रिपोर्ट सरकार ने सार्वजनिक की है, ना ही इस पर कोई अंतिम फैसला हो पाया है। जयपुर में सांभरलेक, फुलेरा, कोटपुतली और शाहपुरा के प्रस्तावों पर कमेटी ने विचार किया था।
और, सरकार का यह तर्क कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और इस पर फैसला लेने के बारे में कई बार विधानसभा के भीतर और बाहर यह मुद्दा पिछले छह वर्षों में उठता रहा है। हाल ही सरकार ने विधानसभा में दिए जवाब में बताया है कि इस रिपोर्ट पर सिर्फ अध्यक्ष ने ही हस्ताक्षर किए हैं, जबकि सदस्यों ने दस्तखत नही हैं।
अब एक वर्ष कोई संभावना नहीं दो वर्षों से सरकार जहां इस रिपोर्ट को लेकर बैठी है, वहीं अब अगले एक वर्ष तक इस कवायद के अंजाम तक पहुंचने की कोई संभावना भी नहीं है। पिछले वर्ष दिसंबर में ही सरकार ने एक आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि जनगणना, 2021 का कार्य पूरा होने तक वर्तमान जिलों की सीमाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।