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जयपुर

छह साल की कवायद पर पानी, कागजों में अटक गई नए जिलों की कहानी

— दो वर्षों से धूल खा रही है परमेशचंद्र कमेटी की सिफारिशें, 50 प्रस्तावों पर विचार के बाद 2018 में दे दी थी सिफारिश, अब तक सरकार नहीं कर पाई निर्णय

जयपुरJul 16, 2020 / 06:08 pm

Pankaj Chaturvedi

 छह साल की कवायद पर पानी, कागजों में अटक गई नए ​जिलों की कहानी

चक्रेश जी सर के ध्यानार्थ,,,, छह साल की कवायद पर पानी, कागजों में अटक गई नए ​जिलों की कहानी

जयपुर. प्रदेश में बढ़ती आबादी के अनुरूप प्रशासनिक व्यवस्था के लिए करीब छह वर्ष पहले शुरु हुई नए जिले बनाने की कवायद कागजों में अटक कर रह गई है। नए जिले बनाने को लेकर बनी सेवानिवृत आईएएस परमेशचंद्र की अध्यक्षता वाली समिति ने 2018 में अपनी सिफारिशें सरकार को भेज दी थीं। लेकिन इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इस बीच, दो नई सरकारों ने सूबे की कमान संभाल ली, लेकिन इस रिपोर्ट पर जमी धूल नहीं हट पाई है। प्रदेश में सात करोड़ से अधिक की आबादी पर अभी 33 जिले हैं, जबकि पड़ौसी मध्यप्रदेश को देखें तो वहां तकरीबन आठ करोड़ की जनसंख्या पर 52 जिले बनाए गए हैं। राजस्थान में अंतिम बार प्रतापगढ़ को जनवरी, 2008 में नया जिला घोषित किया गया था।

2014 में गठित की थी समिति
सरकार ने 20 जनवरी 2014 को परमेंशचंद्र कमेटी का पुनर्गठन किया था। इससे पहले पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में भी नए जिले बनाने के लिए मई, 2012 में सेवानिवृत आईएएस जी.एस.संधू की कमेटी बनाई थी। लेकिन 2013 में सरकार बदलने के बाद इस समिति के स्थान पर नई समिति बना दी गई।
50 से अधिक प्रस्तावों पर हुआ विचार

सूत्रों के अनुसार समिति ने 50 से अधिक नए जिलों के प्रस्तावों पर विचार किया था। बताया जाता है इनमें से पांच नए जिलों की अनुशंषा भी की गई, लेकिन अब तक न यह रिपोर्ट सरकार ने सार्वजनिक की है, ना ही इस पर कोई अंतिम फैसला हो पाया है। जयपुर में सांभरलेक, फुलेरा, कोटपुतली और शाहपुरा के प्रस्तावों पर कमेटी ने विचार किया था।
और, सरकार का यह तर्क

कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और इस पर फैसला लेने के बारे में कई बार विधानसभा के भीतर और बाहर यह मुद्दा पिछले छह वर्षों में उठता रहा है। हाल ही सरकार ने विधानसभा में दिए जवाब में बताया है कि इस रिपोर्ट पर सिर्फ अध्यक्ष ने ही हस्ताक्षर किए हैं, जबकि सदस्यों ने दस्तखत नही हैं।
अब एक वर्ष कोई संभावना नहीं

दो वर्षों से सरकार जहां इस रिपोर्ट को लेकर बैठी है, वहीं अब अगले एक वर्ष तक इस कवायद के अंजाम तक पहुंचने की कोई संभावना भी नहीं है। पिछले वर्ष दिसंबर में ही सरकार ने एक आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि जनगणना, 2021 का कार्य पूरा होने तक वर्तमान जिलों की सीमाओं में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

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