दीया कुमार ने गुरुवार को रामगढ़ बांध का मुआयना किया। उन्होंने कहा कि दशकों तक जयपुर की प्यास बुझाने वाला रामगढ बांध अवैध अतिक्रमणों के कारण आज दुर्दशा का शिकार हो गया है। इसके लिए वे पूरी तरह से सहयोग करने को तत्पर हैं। गौरतलब है कि दिया कुमारी कुछ दिन पूर्व इस संबंध में माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए नोडल अधिकारी रोहित कुमार सिंह से भी भेंट करके आई थी और उन्हें सहयोग की बात कही थी।
उन्होंने कहा कि हम रामगढ़ बांध के लिए करणी सेना के साथ मिलकर एक मुहिम चलाएंगे। इसमें जनता से भी पूरा सहयोग अपेक्षित है। अगर इसमें जनता पूरा साथ दें तो हम रामगढ़ को एक बार फिर से जीवित कर सकेंगे।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा, हाईकोर्ट ने लिया था प्रसंज्ञान
राजस्थान पत्रिका में 2011 में ‘मर गया रामगढ़’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार के आधार पर हाईकोर्ट ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। इसी मामले में कोर्ट ने 29 मई 2012 को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे। कोर्ट के दखल के कारण रामगढ़ बांध के प्रवाह क्षेत्र से निम्स विवि सहित अन्य कई अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाए गए। अभी भी पत्रिका निरंतर रामगढ़ के मुद्दे को उठाता रहा है।
यह है इतिहास
रामगढ़ बांध जयपुर के पूर्व महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने 1897 में बनवाना शुरू कराया था। छह साल में वर्ष 1903 में यह बनकर तैयार हुआ। करीब 65 फीट ऊंचे इस बांध का भराव क्षेत्र 16 किलोमीटर से अधिक था। बांध इसलिए बनाया गया ताकि जयपुर को साफ पेयजल और जयपुर के आसपास के गांवों को सिंचाई का पानी मिल सके। रामगढ़ बांध से जयपुर शहर को 73 साल तक शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती रही। बांध में ताला, बाण गंगा और माधवेणी नदियों से तो पानी पहुंचता ही रहा, इनके अलावा अनेक नालों से भी बांध में पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। बांध का कैचमेंट एरिया 2975 वर्गमील है।