अन्यथा याचिकाकर्ता जमानत प्रार्थना पत्र पेश करने को स्वतंत्र होगा। इस मामले में 6 साल पहले गिरफ्तार शमीम की ओर से जमानत के लिए पांचवी बार पेश प्रार्थना पत्र न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता व अन्य के खिलाफ अलवर स्थित एसीबी की चौकी में 2012 में मामला दर्ज हुआ था। मामले में अलवर के तत्कालीन थानाधिकारी बृजेश मीणा सह अभियुक्त हैं और उसके खिलाफ तत्कालीन डीजीपी मीना ने अभियोजन स्वीकृति दी थी। इसी को लेकर मीना की ट्रायल कोर्ट में साक्ष्य होनी है।
उनके कोर्ट नहीं जाने से दो साल से इस मामले में साक्ष्य लंबित है। प्रार्थीपक्ष के अधिवक्ता जिया उर रहमान ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता 6 साल से गिरफ्तार है और तत्कालीन डीजीपी की साक्ष्य नहीं होने से ट्रायल लम्बित है। इस कारण याचिकाकर्ता को जमानत का लाभ दिया जाए। सरकारी पक्ष की ओर से अधिवक्ता शेर सिंह महला ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा, प्रकरण की ट्रायल अंतिम स्टेज पर है तथा अगली तारीख पर साक्षी को आवश्यक रूप से हाजिर करवा परीक्षण करा दिया जाएगा। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद कहा कि एक ही व्यक्ति की साक्ष्य बाकी है, इस कारण जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। साथ ही, डीजीपी को निर्देश दिया कि अगली तारीख पर पूर्व डीजीपी मीना को साक्षी के रूप हाजिर किया जाए और उसका परीक्षण कराया जाए। यदि अब साक्षी ट्रायल कोर्ट में हाजिर नहीं हो तो याचिकाकर्ता जमानत प्रार्थना पत्र पेश करने के लिए स्वतंत्र होगा।
यह था मामला
2012 में एसीबी ने जाकिर, मनीषा, शमीम व बृजेश मीणा के खिलाफ मामला दर्ज किया। इनमें से शमीम को छोडक़र तीन लोग जमानत पर हैं।
2012 में एसीबी ने जाकिर, मनीषा, शमीम व बृजेश मीणा के खिलाफ मामला दर्ज किया। इनमें से शमीम को छोडक़र तीन लोग जमानत पर हैं।