यह पाठकों का भरोसा है कि सुबह अखबार लेट हो जाता है, तो वह इंतजार में चक्कर लगाता है। विश्वास के कारण ही पत्रिका ने सब ग्रंथों को रिप्लेस कर दिया, यह समझने की जरुरत है।
मीड़िया में खुद को चौथा पाया बताने की हौड़ को लेकर कोठारी ने कहा कि चौथा पाया कहना पाठक और संविधान के साथ बेइमानी है। मीड़िया को सरकार और पाठक के बीच सेतु होना चाहिए, क्योंकि उसे लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि हम अखबार में केवल खबरें नहीं दे सकते, क्योंकि पाठकों के अधिकारों की रक्षा का दायित्व भी हमारे पास है। आधुनिक शिक्षा पर सवाल
कोठारी ने आधुनिक शिक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षा में संवेदनशीलता खत्म हो गई है और देश का दर्शन इसमें नहीं पढ़ाया जा रहा है। इसके कारण आदमी करियर के लिए भागता रहता है। मूल्यों की बात ही नहीं होती है।