मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस ने जिन नेताओं को बोर्ड बनाने का जिम्मा सौंपा था उसमें कई नेता मुख्यमंत्री की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं। बोर्ड बनाने के साथ-साथ महापौर और डिप्टी मेयर बनाने में भी इन नेताओं ने अहम भूमिका निभाई है। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में इन नेताओं का कद बढ़ा है और यह नेता पहले से ज्यादा और मजबूत बनकर उभरे हैं।
इन नेताओं में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, मुख्य सचेतक महेश जोशी और वैभव गहलोत का नाम खासा चर्चा में है। नगर निगम चुनाव में इन नेताओं की साख दांव पर लगी हुई थी।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल नगर निगम चुनाव के बाद हाड़ौती संभाग के सबसे मजबूत नेता के तौर पर उभर कर बनकर सामने आए हैं। पहले वार्डों और नगर निगमों का परिसीमन कर सुर्खियों में आए धारीवाल कोटा उत्तर और दक्षिण दोनों में कांग्रेस पार्टी का बोर्ड बना बना कर ताकतवर नेता नेता बने हैं।
धारीवाल को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बेहद करीबी माना जाता है साथ ही कई बार सदन और सदन के बाहर धारीवाल सदैव सरकार के लिए संकट मोचक की भूमिका में नजर आते हैं।
खाचरियावास-महेश जोशी
परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और मुख्य सचेतक महेश जोशी का भी प्रदेश की राजनीति में कद बढ़ा है, दोनों नेता पहले से भी ज्यादा मजबूत नेता के तौर पर सामने आए हैं। दोनों ही नेताओं के जिम्मे जयपुर हेरिटेज का बोर्ड बनाने की जिम्मेदारी थी, साथ ही मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते महापौर और उपमहापौर का चुनाव कराना था, जिस पर दोनों ने पार्षदों राजनीतिक कुशलता का परिचय देते हुए बाड़ाबंदी में पार्षदों को एकजुट रखने हुए महापौर और उपमहापौर बनाने में कामयाब रहे।
वहीं दोनों नेताओं कांग्रेस और समर्थित निर्दलीय पार्षदों का एक वोट भी इधर उधर नहीं होने दिया। हालांकि जयपुर ग्रेटर में कांग्रेस का बोर्ड नहीं बन पाया लेकिन यहां भी अच्छी संख्या में कांग्रेस के पार्षद चुनाव जीत कर आए हैं।
वैभव गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र और आरसीए के चेयरमैन वैभव गहलोत का भी प्रदेश की राजनीति में कद बढ़ा है। वैभव गहलोत ने जोधपुर के दोनों नगर निगमों में टिकट वितरण से लेकर चुनाव की पूरी कमान संभाली हुई थी। जोधपुर उत्तर में मेयर और डिप्टी मेयर बनाने में भी वैभव गहलोत की चली।
अब विधायकों की परीक्षा
वहीं दूसरी ओर 21 जिलों में हो रहे जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कांग्रेस ने जिला परिषदों और पंचायत समिति चुनावों में भी टिकट वितरण का अधिकार विधायकों को दिया गया था। ऐसे में पंचायत समितियों और जिला परिषदों में बोर्ड बनवाने की जिम्मेदारी विधायकों की है।