पीपुल फॉर एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू का कहना है कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व से टाइगर फतह टी.42, रोमियो टी.6 और मोहन टी.47 पिछले चार माह से लापता हैं। इसी तरह बाघिन टी. 92 का पिछले साढ़े तीन माह से कोई सुराग नहीं है। टी.42 और टी.47 अंतिम बार जनवरी के अंतिम सप्ताह में देखे गए थे, वहीं बाघिन टी.92 फरवरी के दूसरे सप्ताह में नजर आई थी। वहीं टी. 6 तो कई महीनों से नजर नहीं आया। उनका कहना है कि इनके बारे में वन विभाग के अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है। चारों टाइगर के लापता होने का मामला उच्च स्तर तक पहुंचने के बाद अधिकारी सक्रिय हुए हैं। शिकारियों पर नजर रखने के लिए कैमरे लगाने के साथ ही वनकर्मियों की टीम गठित की गई है। यह टीम निरंतर शिकारियों व वन्यजीवों पर नजर रखती है, लेकिन लापता हुए तीन टाइगर ना तो कहीं कैमरे में नजर आ रहे हैं और ना ही इस टीम को इनका सुराग मिला है। वनमंत्री सुखाराम विश्नोई ने अधिकारियों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है।
फिर से होनी चाहिए गणना
काफी लंबे समय से टाइगर सहित अन्य वन्यजीवों के लिए काम कर रही संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी और वन्यजीव प्रेमी बाबूलाल जाजू का कहना है कि ये तीन टाइगर एेसे हैं अधिकारिक रूप से गायब हुए हैं, जबकि इनकी संख्या इससे कहीं अधिक है। उन्होंने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी के असिस्टेंट इंसपेक्टर जनरल को पत्र लिखकर रणथंभौर व सरिस्का में बाघों की एक बार फिर गणना कराने की मांग की है। जाजू ने कहा कि पत्र में लिखा है कि रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यटन शुरू करने से पूर्व बाघों की संख्या की पुन: गणना कराई जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभागीय आंकड़ों के अनुसार रणथंभौर टाइगर रिजर्व में लगभग 80 बाघ.बाघिन व शावक हैं तथा सरिस्का टाईगर रिजर्व में लगभग 20 बाघ.बाघिन व शावक हैं, जबकि वास्तविकता में 70 प्रतिशत बाघ.बाघिन भी इन टाइगर रिजर्वों में नहीं हैं। जाजू ने बताया कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व में वन विभाग के अफसरों की घोर लापरवाही के चलते मॉनिटरिंग व गश्त व्यवस्था कमजोर हुई जिससे यहां बाघों के शिकार एवं लापता होने की घटनाओं सहित चीतल सहित अन्य वन्यजीवों का शिकार हुआ है साथ ही अवैध खनन भी किया गया है। जाजू ने टाइगर रिजर्वों की मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने एवं बाघों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
फिर से होनी चाहिए गणना
काफी लंबे समय से टाइगर सहित अन्य वन्यजीवों के लिए काम कर रही संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी और वन्यजीव प्रेमी बाबूलाल जाजू का कहना है कि ये तीन टाइगर एेसे हैं अधिकारिक रूप से गायब हुए हैं, जबकि इनकी संख्या इससे कहीं अधिक है। उन्होंने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी के असिस्टेंट इंसपेक्टर जनरल को पत्र लिखकर रणथंभौर व सरिस्का में बाघों की एक बार फिर गणना कराने की मांग की है। जाजू ने कहा कि पत्र में लिखा है कि रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यटन शुरू करने से पूर्व बाघों की संख्या की पुन: गणना कराई जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभागीय आंकड़ों के अनुसार रणथंभौर टाइगर रिजर्व में लगभग 80 बाघ.बाघिन व शावक हैं तथा सरिस्का टाईगर रिजर्व में लगभग 20 बाघ.बाघिन व शावक हैं, जबकि वास्तविकता में 70 प्रतिशत बाघ.बाघिन भी इन टाइगर रिजर्वों में नहीं हैं। जाजू ने बताया कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व में वन विभाग के अफसरों की घोर लापरवाही के चलते मॉनिटरिंग व गश्त व्यवस्था कमजोर हुई जिससे यहां बाघों के शिकार एवं लापता होने की घटनाओं सहित चीतल सहित अन्य वन्यजीवों का शिकार हुआ है साथ ही अवैध खनन भी किया गया है। जाजू ने टाइगर रिजर्वों की मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने एवं बाघों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है।
आपको बता दें कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में २६ टाइगर,२७ बाघिन 27 और २३ शावक हैं। इनकी कुल संख्या 76 है। गौरतलब है कि २००५ में शिकारियों की सक्रियता के चलते सरिस्का टाइगर विहिन हो गया था। यहां एक.एक कर सभी टाइगरों का या तो शिकार हुआ या फिर आपसी संघर्ष में मारे गए थे उसके बाद वसुंधरा सरकार ने सरिस्का में फिर से टाइगर बसाने का काम शुरू किया, वहां रणथंभौर से टाइगर भेजे गए थे उसके बाद ही सरिस्का फिर से आबाद हो पाया। एेसे में अब आशंका जताई जा रही है कि कहीं एेसा ही हश्र रणथंभौर का ना हो जाए।