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हत्या के प्रयास के झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप,हाईकोर्ट सीबीआई को सौंपी जांच

locationजयपुरPublished: Feb 08, 2020 07:30:18 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Bhratpur )भरतपुर निवासी एक व्यक्ति को(Attempt to Murder) हत्या के प्रयास के (fake case) झूठे मुकदमे में फंसाने के मामले की (Investigation) जांच (CBI) सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश प्रार्थी वीरेन्द्र सिंह की (Petition) याचिका पर दिए।

जयपुर

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Bhratpur )भरतपुर निवासी एक व्यक्ति को(Attempt to Murder) हत्या के प्रयास के (fake case) झूठे मुकदमे में फंसाने के मामले की (Investigation) जांच (CBI) सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश प्रार्थी वीरेन्द्र सिंह की (Petition) याचिका पर दिए। कोर्ट ने प्रार्थी को झूठी हिस्ट्रीशीट खोलने और झूठे मुकदमे में फंसाने के मामले में डीजीपी को भी विस्तृत प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं।

एडवोकेट अनिल उपमन ने बताया कि प्रार्थी नदबई का रहने वाला है और राजनीति में भी सक्रिय है। भरतपुर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उसकी तत्कालीन एसपी राहुल प्रकाश से झड़प हो गई थी और एसपी तभी से उससे खासे नाराज थे। इसके बाद अक्टूबर 2015 में पुलिस को नदबई के बाजार में कुछ युवकों के हथियारों के साथ घूमने की सूचना मिली। 28 अक्टूबर, 2015 को पुलिस ने दो युवक हिमांशु और सौरभ को एक कट्टे और एक कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। गवाह स्थानीय निवासी सुघड़ सिंह को बनाया। इसके अगले दिन सुघड़ सिंह ने पुलिस को एक प्रार्थना पत्र देकर कहा कि प्रार्थी ने ही दोनों युवकों को उसकी हत्या के लिए भेजा था। इस आधार पर पुलिस प्रार्थी के पीछे पड़ी तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

हाईकोर्ट के बुलाने पर मामले के अनुसंधान अधिकारी ने बताया कि मामले में हत्या का प्रयास और हत्या की धाराओं को जोड़ दिया है। जबकि ना तो किसी पर हमला हुआ था ना ही कोई गोली चली थी। आईओ ने हत्या का प्रयास और हत्या की धाराएं सीओ और एसपी के निर्देश पर जोडऩा बताया। इसके बाद सीआईडी सीबी ने भी जांच के बाद मामले को झूठा बताया, लेकिन पुलिस ने अवैध हथियार रखने, हत्या का प्रयास और षड्यंत्र रचने के आरोप में चार लड़कों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी और प्रार्थी को गिरफ्तार करने पर आमादा हो गई। प्रार्थी ने कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली। इसके बाद तत्कालीन एएसपी ने जांच के नाम पर प्रार्थी को बुलाने के पत्र भेजे, लेकिन यह सभी पत्र तय तारीख निकलने के बाद पोस्ट किए। इस बीच पुलिस प्रार्थी के खिलाफ एक हिस्ट्रीशीट भी खोल दी, जबकि वह कई साल पहले ही मुकदमों से बरी हो चुका था। हाईकोर्ट ने हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश को रद्द कर दिया था।

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