दरअसल, बूंदी जिले के बांसी के राजकीय पशु चिकित्सालय पर पशुपालक बीमार पशुओं को लेकर केन्द्र पर पहुंच रहे हैं, लेकिन केन्द्र पर सरकारी दवाइयां ही उपलब्ध नहीं हो रही हैं। मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों से आए पशुपालकों का कहना है कि पशु चिकित्सालय पर बीमार पशुओं को पन्द्रह से बीस किमी से बड़ी मुश्किलों से उपचार के लिए यहां पर लाया जाता है, लेकिन पशुओं की बीमारी के लिए सरकारी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। 10 किमी दूरी से आए मरां गांव निवासी पशुपालक रामफूल गुर्जर फतेहपुरा गांव निवासी महावीर आदि का कहना है कि बीमार पशुओं को बड़ी मुश्किल से उपचार के लिए यहां पर लाया जाता है।
बाजार की दवा लेने की मजबूरी
पशु की बीमारी नजर आने पर बाजार की दवा लिखी जाती है जो बीमार पशुओं को बचाने के लिए महंगे दामों में दवा खरीदनी पड़ती है। डोड़ी गांव निवासी पशुपालक नेवालाल ने बताया कि 40 पशु मेरे पास थे, मेरे पास इस समय पशुओं में मौसमी बीमारी आने से केन्द्र पर दवाइयां उपलब्ध नहीं होने से 15 पशुओं की मौत हो चुकी है। उनका कहना है कि मंगलवार को भी वो बीमार पशु को लेकर आए लेकिन उपचार के लिए दवा ही उपलब्ध नहीं हुई। ऐसे में बाजार से दवा खरीदनी पड़ी। पशुपालकों का कहना है कि इन स्थितियों में पशुओं की मौत पर अंकुश नहीं लग रहा है। क्षेत्र में बेजुबान पशुओं की मौत का सिलसिला जारी है।
सूची है मगर दवा नहीं
पशुपालकों ने बताया कि चिकित्सालय पर सरकार की निःशुल्क दवाइयां 107 तरह की उपलब्ध होने की सूची लगी हुई है। मौके पर पांच तरह की दवा उपलब्ध है। इस समय कई पशु बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन दवा नहीं मिलने से पशुपालकों को बजार से खरीदने की मजबूरी बनी हुई है। क्षेत्र के पशुपालकों को भी आर्थिक भार झेलना पड़ रहा है।