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गहलोत ने कहा कि गुजरात में अब तो हमारे लोग वहां प्रभारी बनकर गए हुए हैं। वो बताते हैं कि क्या-क्या नहीं हो रहा है वहां पर। मोदी ने गुजरात मॉडल का इतना माहौल बना दिया था कि पता नहीं मोदी क्या करिश्मा कर देंगे? उन्होंने कहा कि मोदी 75 साल की उपलब्धियों को क्वॉट करते और नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह के समय तक के फैसले बताते, लेकिन वे ऐसा नहीं करके बड़ा मौका चूक गए। गहलोत ने कहा कि वे पीएम से पूछना चाहते है कि वसुंधरा राजे जब सीएम थी तो जयपुर, अजमेर में बड़े बड़े कार्यक्रम किए थे और सरकारी स्तर पर ही लाभार्थियों को बसों से लाया था।उनके लंच, डिनर तक की व्यवस्था की गई थी, और तो और लाभार्थियों को लिटरेचर के नाम पर एक बैग दिया था कि हमने आपके लिए ये किया है हम कम से कम ऐसे एहसान तो नहीं जता रहे है। गहलोम ने कहा कि हमने पुरानी पेंशन बहाल करके सरकारी नौकरी में पूरी जिंदगी लगाने वाले को उसकी सोशल सिक्योरिटी बहाल की तो ये परेशान हो रहे है।गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार को तो हमारी योजनाओं पर रिसर्च करना चाहिए। मेरी तो चुनौती हैं कि आप हमारे चार बजट का रिसर्च और विश्लेषण करवाइए और हमारी स्कीम को केंद्र में और भाजपा शासित राज्यों में भी लागू करवाओ तब पता चलेगा कि हमारी योजनाओं की क्या खासियत है? हम मार्केटिंग कम करते हैं, जबकि मोदी और इनके लोग मार्केटिंग के उस्ताद है।