एफएसएसएआई ने पिछले साल 50 हजार से अधिक जनसंख्या वाले 1103 शहरों से 6 हजार से अधिक नमूने लेकर राष्ट्रीय जांच करवाई थी। जांच में देशभर से लिए गए 41 फीसदी दूध के सैंपल फेल हो गए । हम कह सकते है 41 फीसदी दूध के सैंपल पीने योग्य नहीं है । राजस्थान में कई बार दूध कै सैंपलों का सर्वे किया गया है उसके बाद भी दूध में मिलावट नहीं रूक पा रही है । प्रदेश में 5 अगस्त 2011 से फूड सेफ्टी एक्ट लागू होने के बाद भी चिकित्सा विभाग दूध में मिलावट रोकने में नाकाम है। हाईकोर्ट ने भी मिलावटी दूध की बिक्री पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान आदेश में राज्य सरकार को मिलावटी दूध की बिकी रोकने के आदेश दिए हैं।
कुछ दिन पहले सीएम गहलोत ने कहा था मिलावटखोरों पर लगान लगाने के लिए सरकार जल्द कोई बड़ा कदम उठाने जा रही हैं । सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कानून से मिलावटखोरों पर लगाम लगाई जाएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि मिलावट एक बीमारी है। ट्रकों और फैक्ट्रियों में कई टन मिलावटी मावा और दूध पकड़ा जाता है। दवा और खाने-पीने की चीजों में मिलावट खतरनाक है। हमने पांच साल पहले शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया था। अब मिलावटखोरों को फांसी की सजा का कानून लाया जाएगा।