उपभोक्ताओं को अप्रेल माह के बिल से यह राशि देनी होगी। इससे सामान्य उपभोक्ता पर 150 से 1200 रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। डिस्कॉम प्रशासन के इस प्रस्ताव पर ऑडिटर की मुहर लग गई है। संभवतया अगले सप्ताह से यह लागू हो जाएगी। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) हर साल बिजली खरीद और गणना के आधार पर फ्यूल सरचार्ज की दर तय करता है।
2.45 रुपए तय की दर, खरीदी 2.71 रुपए में बिजली
पिछले वर्ष अक्टूबर से दिसम्बर के बीच बिजली खरीद दर 2.45 रुपए प्रति यूनिट तय की गई, लेकिन खरीद 2.71 रुपए प्रति यूनिट रही। इससे डिस्कॉम्स को करीब 26 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा दर चुकानी पड़ी। इस दौरान 18266.80 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई, जबकि 15915.74 मिलियन यूनिट बेची।
71 लाख उपभोक्ताओं का भार राज्य सरकार पर
राज्य में कृषि उपभोक्ता 13 लाख, बीपीएल श्रेणी के 16 लाख और छोटे घरेलू कनेक्शनधारी (पचास यूनिट से कम खपत वाले उपभोक्ता) 42 लाख हैं। संभव है कि इन उपभोक्ताओं के फ्यूल सरचार्ज की राशि सरकार वहन करे, क्योंकि सब्सिडी का भार भी सरकार ही उठा रही है। हालांकि, अप्रत्यक्ष रूप से इसका भार भी आमजन पर भी पड़ता रहा है।
यों बढ़ गई छीजत
सरकार का बिजली चोरी रोकने का दावा खोखला साबित हो रहा है। जयपुर, जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम बिजली चोरी-दुरुपयोग (छीजत) बढ़ गया है। जयपुर डिस्कॉम में 25047 लाख यूनिट बिजली का उपभोग हुआ, जबकि बिलिंग 17776 लाख यूनिट की ही हुई। यानि, 7271 लाख यूनिट बिजली चोरी और दुरुपयोग हुआ।
ईमानदार उपभोक्ता कब तक भुगतेगा…
ईमानदारी से बिजली उपभोग करने वालों पर इसका सीधा भार होगा, क्योंकि बिजली चोरी करने वालों से होने वाली हानि की गणना भी इसे चार्ज शामिल होती है। न तो बिजली चोरी करने वालों पर असर है और न ही उन जिम्मेदार अफसरों पर एक्शन है जो इसे रोक नहीं पा रहे हैं।
इसलिए वसूल रहे हैं फ्यूल चार्ज
राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरईआरसी) हर साल बिजली खर्च की गणना के बाद बिजली की दरें तय करता है। आयोग फिक्स दर के साथ वेरिएबल दर के हिसाब से टैरिफ निर्धारित करता है। वेरिएबल दर का निर्धारण कोयला, डीजल व परिवहन खर्च से किया जाता है। यह खर्च बिजली खरीद के दौरान जो दरें आती है, उस आधार पर बनती है। इसकी वसूली बिजली के बिलों में उपभोक्ताओं से वसूल की जाती है।