वहीं सूत्रों की मानें तो शेखावत की FIR को तुगलक रोड पुलिस ने आगे की कार्यवाही के लिए दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है। इस बीच इस मामले को लेकर प्रदेश का सियासी पारा फिर गरमाने के प्रबल संभावनाएं खड़ी हो रही हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में ये मामला विधानसभा में जोर-शोर से सुनाई दिया था और सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई थी। फोन टैपिंग के आरोपों को लेकर भाजपा ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा था। भाजपा ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पद से इस्तीफा देने तक की मांग की थी। हालांकि, राज्य सरकार ने कहा था कि राज्य के किसी विधायक या मंत्री का फोन टैप नहीं किया गया।
शेखावत ने नकारे थे आरोप
फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अपनी एक प्रतिक्रिया में कह चुके हैं कि गहलोत सरकार ने पहले फोन टैपिंग से इनकार किया था और अब स्वीकार कर रही है कि फोन टैप किए गए हैं। यह निजता का हनन है, लोकतंत्र की हत्या है।
शेखावत के अनुसार, ”जनता की ओर से भी एक प्रश्न है – कांग्रेस पार्टी की अंदरुनी बगावत रोकने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर फोन टैपिंग क्यों की गई? कांग्रेस सरकार ने प्रशासन का इस्तेमाल अपने हित में क्यों किया? ये ‘अवैध’ प्रक्रिया है! लोकतंत्र की हत्या है!”
सरकार ने लगाए थे ये आरोप
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के कुछ केंद्रीय नेताओं पर उनकी सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया था। इस दौरान एक ऑडियो टेप भी जारी किया गया था, जिसमें कथित तौर पर गजेंद्र सिंह और एक कांग्रेस के एक विधायक की बातचीत थी और इसमें ऐसा लग रहा था कि गहलोत सरकार की अस्थिरता को लेकर बात हो रही है।