गणपति अथर्वशीर्ष का नियमित पाठ कर गणेशजी की कृपा प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोेमेश परसाई बताते हैं कि गणपति अथर्वशीर्ष स्तोत्र गणेशजी को समर्पित सबसे प्राचीन वैदिक स्तोत्रों में शामिल है। व्यापार-व्यवसाय में आ रही बाधाओं और वित्तीय दिक्कतों को दूर करने के लिए इसका पाठ सर्वाेत्तम माना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार आर्थिक अस्थिरता खत्म करने के लिए गणपति अथर्वशीर्ष पाठ किया जाता है। गणपति अथर्वशीर्ष पाठ करने से वित्तीय स्थिति हमेशा सुदृढ़ बनी रहती है।
गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से भगवान श्रीगणेश का आशीर्वाद जरूर मिलता हैै। इसके पाठ से न केवल वित्तीय बाधाएं दूर होती हैं बल्कि इससे सभी भौतिक लाभ और समृद्धि भी प्राप्त होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित जीके मिश्र के अनुसार गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के अनेक लाभ बताए गए हैं। इससे वित्तीय स्थिरता में आनेवाली दिक्कतें दूर होती हैं, खास बात यह है कि बुरी शक्तियों से बचाने में भी यह पाठ मददगार साबित होता है। यह स्तोत्र एक सुरक्षात्मक आवरण बनकर सभी प्रकार की बाधाओं से रक्षा करता है। इसके पाठ से परम सुख पाया जा सकता है।
हर माह में दो बार गणेश चतुर्थी आती हैं, अमावस्या के बाद वाली गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं जबकि पूर्णिमा के बाद आनेवाली गणेश चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। ये दोनों तिथियां गणपति अथर्वशीर्ष पाठ प्रारंभ करने के लिए श्रेष्ठ हैं। व्यापारी बुधवार के दिन इसका पाठ प्रारंभ कर सकते हैं, जहां तक संभव हो शुक्ल पक्ष के बुधवार को पाठ प्रारंभ करें। शुक्ल पक्ष का प्रथम बुधवार को बुध की होरा में यह पाठ प्रारंभ करना सर्वाेत्तम रहेगा। गणेशजी की विधिपूर्वक पूजा कर गणपति अथर्वशीर्ष पाठ प्रारंभ करना चाहिए।