इससे पूर्व गुरुवार को महिलाओं ने बगैर घेवर खाये ही सिंजारा मनाया। हाथों और पैरों में घर पर ही मेहंदी रचाई। ईसर गणगौर की प्रतिमाएं बनाई। हर साल सिंजारे पर गली, मोहल्ले, मॉल और बाजारों में जहाँ देर रात तक महिलाओं की रौनक रहती थी, वहीं आज कोरोना के भय के चलते ये जगह सूनी पड़ी रही| पत्रिका ने पहले ही महिलाओं से घर में ही गणगौर पूजने की अपील की है और एक साथ समूह से बचने के लिए प्रयास किया है। दोनों ही प्रयास काम कर रहे हैं।
उधर कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते आजादी के बाद पहली बार सिटी पैलेस से आज गणगौर की सवारी नहीं निकलेगी। हालांकि, पूर्व राजपरिवार की महिलाएं सिटी पैलेस के अंदर हरवर्ष की भांति विधि-विधान से गणगौर माता की पूजा करेंगी। पैलेस के अंदर ही गणगौर को सामाजिक दूरियां बनाते हुए परिक्रमा कराई जाएगी। आजादी के पहले से ही पैलेस की जनानी ड्योढ़ी से हर साल गाजे बाजे से गणगौर माता की सवारी निकलती आई है।