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गणगौर 20 को, सोलह श्रृंगार कर सुहागिनें पूजेंगी गणगौर ..

locationजयपुरPublished: Mar 17, 2018 02:00:12 pm

Submitted by:

SAVITA VYAS

शादी वाले घरों में पूज रही 16 दिवसीय गणगौर, घरों में गूंज रहे गणगौर के गीत पूजन दो गणगौर, भंवर म्हाने पूजन दयो गणगौर गीत की गूंज इन दिनों जयपुर में

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गणगौर 20 को, सोलह श्रृंगार कर सुहागिनें पूजेंगी गणगौर …

शादी वाले घरों में पूजी रही 16 दिवसीय गणगौर, घरों में गूंज रहे गणगौर के गीत

पूजन दो गणगौर, भंवर म्हाने पूजन दयो गणगौर गीत की गूंज इन दिनों जयपुर में सुनाई दे रही हैं। खास तौर पर उन घरों में जिनके घरों में इस साल शहनाई बजी है। नवविवाहिताओं की पहली गणगौर होने से घरों में उत्सव सा माहौल है। सुबह से ही घरों में गणगौर के गीतों की गूंज सुनाई देने लग जाती है। 16 दिवसीय गणगौर पूजा होली के दूसरे दिन से शुरू हो गई है। महिलाएं 16 ‘पिंडिया (गौरा का प्रतीक) बनाकर पूजा कर रही हैं। गणगौर के एक दिन पहले सिंजारा का त्योहार मनाया जाएगा। सोलह शृंगार कर इस दिन महिलाएं महंदी लगाएगी और घेवर खाएगी। गणगौर का पर्व 20 मार्च को मनाया जाएगा। चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि को सोलहवें दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए सोलह श्रृंगार कर गणगौर पर्व मनाएंगी।

प्रीति ने बताया कि होली से ही गणगौर उत्सव शुरू हो गया है। होलिका दहन की राख में गोबर मिलाकर गौरा ‘पूजा का प्रतीक ‘पिंडिया बनाकर उसकी पूजा हो रही है। गणगौर के दिन घेवर, मीठे गुणे और सोलह शृंगार की सामग्री से मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा में पूरे परिवार की महिलाएं एक साथ शामिल होती हैं। मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर और विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए पूजा करती हैं।
मानसरोवर निवासी मंजू गोस्वामी ने बताया कि उनके घर में इस बार गणगौर का उल्लास और अधिक बढ़ गया है। इस साल बेटे व बेटी की शादी होने से दोनों नवविवाहित बहू और बेटी दोनों घर पर ही 16 दिन की गणगौर पूज रही हैं। 16 दिनों तक घर में मांगलिक माहौल हैं।
पंडित पुलकित शास्त्री ने बताया कि गणगौर पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं। होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो कुमारी और विवाहित महिलाएं, नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं। वे चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती है। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए ब हुत महत्वपूर्ण माना गया है, इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।
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