प्रदेश के टोंक, भरतपुर, दौसा, अलवर, बूंदी, कोटा के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात के भी खरीदार आए। मेले में घोड़े—घोड़ी 30 हजार से तीन लाख रुपए तक तो खच्चर व बच्छेरे 10 से 15 हजार रुपए तक बिके। पुष्कर मेले में जाने वाले पशुपालक भी अपने पशुओं के साथ मेला देखने आए। मेले में जयपुर से आए अशोका व गोविंदा को उत्तर प्रदेश के व्यापारी 30 हजार में खरीद कर ले गए, जबकि सचिन, रणबीर, जूही को कोई खरीदार नहीं मिला। राणोली से आए लाल सिंह की राधा 2.50 लाख में बिकी जबकि बस्सी के लसाडिय़ा से आए राजू लाल मीणा ने बताया कि मेले में उनकी हिना घोड़ी को कोई खरीदार नहीं मिला।
सांगानेर के बालावाला से अपने घोड़े जोरावर के साथ आए राजेंद्र सिंह का कहना था कि यह मेला दूसरे मेलों से कई गुणा अच्छा है, लेकिन व्यवस्थित नहीं है। सरकार इस पर थोड़ा ध्यान दे तो मेले की रौनक और बढ़ सकती है और सरकार का राजस्व भी। उनका कहना है कि वे केवल मेला देखने और माता को ढोक लगाने के लिए आए है। घोड़े के मुंहमांगे दाम देने वाले कई खरीदार आए लेकिन उन्होंने कीमत नहीं खोली।
संस्थान के अध्यक्ष भगवत सिंह राजावत ने बताया कि मेले का आयोजन व व्यवस्थाएं जयपुर नगर निगम करवाता है। हालांकि नगर निगम ने इस बार भी सफाई, बिजली व पानी की व्यवस्था करवाई है, लेकिन सरकार यदि ध्यान तो यह मेला भी पुष्कर मेले की तरह बन सकता है।