बागवानी केवल शौक नहीं कॅरियर भी
जयपुरPublished: Jan 16, 2020 12:20:15 am
पर्यावरण को बेहतर बनाने में निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका
बागवानी केवल शौक नहीं कॅरियर भी
जयपुर।
एक समय था जब बागवानी को शौक माना जाता था। अब इसे एक कॅरियर के रूप में भी लिया जाने लगा है। खेती-किसानी के काम में लगे हुए लोग तो बागवानी करते ही हैं लेकिन अब पढ़े लिखे युवक भी इस फील्ड में कॅरियर बना रहे हैं। इसे प्रोफेशन भाषा में हॉर्टिकल्चर के तौर जाना जाता है। ऐसे लोग, जिन्हें प्रकृति से प्यार है, उनके लिए यह बेहतरीन करियर विकल्प है। हॉर्टिकल्चर के तहत न सिर्फ अच्छी गुणवत्ता के बीज, फल एवं फूल का उत्पादन किया जाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हमारे देश में विविध प्रकार की मिट्टी और जलवायु के साथ कई प्रकार की कृषि-पारिस्थितिकी मौजूद है, जो विभिन्न प्रकार की बागवानी और फसलों को विकसित करने का अवसर प्रदान करती है. उच्च तकनीक वाले ग्रीन हाउस, इन-हाउस रिसर्च और ऑफ-सीजन की खेती ने हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में नयी संभावनाएं विकसित की हैं. यही वजह है कि आज भारत दुनिया में फलों और सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है.
हॉर्टिकल्चर यानी बागवानी कृषि की एक विशेष शाखा है जो कि हॉर्टिकल्चर पौधों अनाज, फल, सब्जियां, फूल आदि को उगाने का विज्ञान और कला है। यह विषय अनाज, फलों, फूलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों, सजावटी पेड़ों की खेती और बागानों में पौधारोपण से संबंधित है। इसमें खाद्य और अखाद्य दोनों तरह की फसलों का अध्ययन शामिल है। खाद्य फसलों में फल, सब्जी और अनाज एवं अखाद्य फसलों में फूल और पौधे आदि आते हैं।
बागवानी में कॅरियर बनाने के लिए साइंस स्ट्रीम से बारहवीं करनेे के बाद हॉर्टिकल्चर में बैचलर डिग्री में प्रवेश लिया जा सकता है। बीएससी हॉर्टिकल्चर (ऑनर्स) या बीएससी एग्रीकल्चर में तीन वर्षीय डिग्री कोर्स और उसके बाद दो वर्षीय एमएससी हॉर्टिकल्चर (ऑनर्स) एवं पीएचडी तक कर सकते हैं। कई संस्थान हॉर्टिकल्चर में चार वर्षीय बीटेक प्रोग्राम भी संचालित करते हैं। हॉर्टिकल्चर कोर्स के अंतर्गत प्लांट प्रोपगेशन, प्लांट ब्रीडिंग, प्लांट मटेरियल, टिशू कल्चर, क्रॉप प्रोडक्शन, क्रॉप न्यूट्रिशन, प्लांट पैथोलॉजी, पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग, इकोनॉमिक्स, एग्री-बिजनेस जैसे विषयों का अध्ययन कराया जाता है।