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ऑटोमेटिक खुलेंगे Bisalpur Dam के गेट

locationजयपुरPublished: Dec 04, 2019 01:20:11 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

स्काडा सिस्टम तकनीक से बदलेगा काम का तरीका…इंदिरा गांधी नहर की भी मॉनिटरिंग जयपुर में स्काडा का वेब पोर्टल लॉन्च

ऑटोमेटिक खुलेंगे बीसलपुर बांध के गेट

ऑटोमेटिक खुलेंगे बीसलपुर बांध के गेट

जयपुर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना और बीसलपुर बांध की अब स्काडा से पानी की अपडेट मोनिटरिंग की जा सकेगी। इसके लिए वेब पोर्टल भी लांच कर दिया गया है। जल संसाधन विभाग और वल्र्ड बैंक की ओर से जयपुर के होटल रेडिसन ब्लू में बुधवार को आयोजित प्रोग्राम में मॉनिटरिंग प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई। इसके जरिए पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में पानी वितरण का प्रतिशत भी बढ़ा है। जल संसाधन विभाग के सचिव नवीन महाजन ने बताया कि आईजीएनपी नहर में अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचने की शिकायत आती रही है। लोगों को इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए स्काडा सिस्टम लागू किया गया है। इसके लिए जयपुर ओर बीकानेर में कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसके जरिए कहीं से भी ऑनलाइन जानकारी देखी जा सकेगी। जैसे ही नहर में पानी का लेवल कम होता है, उसी समय संबंधित अफसरों के पास सूचना पहुंच जाती है। राजस्थान के विकास के लिए सिंचाई में निवेश को लेकर वर्कशॉप में जल संसाधन विभाग के सचिव नवीन महाजन ने विभाग की नई योजनाओं के साथ ही नई तकनीक के बारे में प्रजेंटेशन दिया। उद्घाटन सत्र को वाटर रिसोर्सेज मैनेजमेंट स्पिसीलिस्ट वल्र्ड बैंक की स्तुति शर्मा, महाराष्ट्र वाटर रिसोर्सेज रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमेन पी. बख्शी, कमांड एरिया डेवलपमेंट जल शक्ति मंत्रालय के बी. के. पिल्लै ने प्रजेंटेशन दिया।
बीसलपुर बांध होगा ऑटोमेशन के दायरे में
बीसलपुर बांध में सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एग्वीजिशन सिस्टम (स्काडा) यानि ऑटोमेशन का कार्य किया जा रहा है, जो इसी माह पूरा हो जाएगा। राजस्थान का यह पहला बांध है, जिस पर स्काडा सिस्टम होगा। इस सिस्टम के जरिए बांध के सभी 18 गेटों पर सीसीटीवी कैमरा लगेंगे। जयपुर के सिंचाई भवन में भी इसका कंट्रोल सिस्टम होगा। इस सिस्टम पर करीब 3 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। अभी बांध के गेट खोलने या बंद करने का काम इलेक्ट्रिकली और मेकेनिकल तरीके से होता है, लेकिन यह सिस्टम लगने के बाद सभी गेट ऑटोमेशन के दायरे में होंगे। इन्हें कंट्रोल रूम से कंट्रोल किया जा सकेगा। साथ ही कैमरे से बांध के गेटों पर पानी के लेवल का पता लग पाएगा। यह सिस्टम बाद में बांसवाड़ा के माही डैम, पाली के जवाई डैम और बूंदी के गुढ़ा डैम में भी लगाया जाएगा।
महाराष्ट्र से सीखेंगे बेहतर वितरण प्रणाली, किया एमओयू
कार्यक्रम में महाराष्ट्र और राजस्थान के बीच एमओयू भी हुआ। राजस्थान के जल संसाधन विभाग और महाराष्ट्र जल संसाधन रेगुलेटरी अथॉरिटी के अफसरों ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। महाजन ने बताया कि महाराष्ट्र की तकनीक के आधार पर राजस्थान में भी सिंचाई और बांधों का रखरखाव किया जा सकेगा। साथ ही एक इलाके से दूसरी जगह पानी वितरण की बेहतर तकनीक भी अपनाएंगे। इसके अलावा कमांड एरिया में सिंचाई की तकनीक का आदान प्रदान हो सकेगा।
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