गहलोत ने बयान में कहा है कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते राजस्थान में किसानों के आत्महत्या करने का रिकॉर्ड पहले ही बन चुका है, वहीं भ्रष्टाचार के चलते लाखों किसान अपने आवास में घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। अधिकारियों के पास इसका कोई संतोषप्रद जवाब भी नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि इस सबके पीछे सरकार की गलत नीति जिम्मेदार है, जिसने भ्रष्टाचार को जन्म दिया है। विद्युतीकरण के इस कार्य को विभाग के माध्यम से कराने के बजाय सरकार ने निजी कम्पनियों को यह कार्य ठेके पर दे दिया। कथित बड़ी कमीशनखोरी के कारण निजी कम्पनी मांग पत्र या आवेदन की वरीयता के क्रम को छोड़ कर सुविधानुसार आवेदक किसानों से विद्युत लाइन खिंचवा कर कार्य करवा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार एवं लापरवाही के चलते विद्युत लाइन खींचते समय दुर्घटनाएं होना, ट्रांसफार्मर्स के जलने के हादसे, लाइनों में करन्ट आने की घटनाएं आम हो गयी है। हाल ही में जालौर जिले के बिलड़ ग्राम में लाइन खींचते समय दुर्घटनावश एक युवा किसान की जान चली गई और तीन अन्य किसान गंभीर रूप से घायल हो गये पर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। दबी जुबान से अधिकारी सरकार के स्तर पर कमीशन के लेन-देन की ओर इशारा करते हुए कम्पनी के अधिकारियों के सामने बौने साबित हो रहे हैं।
गहलोत ने कहा कि यह सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और इसने संस्थागत भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा दिया है, उन्होंने मांग की है कि सरकार योजना के तहत प्रथम फेज में मांग पत्र की राशि जमा कराने वाले लाखों गरीब किसानों के आवास में तुरन्त घरेलु विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे।