विधानसभा का सत्र 24 जनवरी को आहूत किया है ये आगे बजट सत्र में तब्दील हो जाएगा। गहलोत सरकार ने इसके लिए अपनी सारी तैयारी कर ली है। ये सत्र हंगामेदार रहेगा क्यों कि सीएए को लेकर कांग्रेस और कई विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे है वहीं भाजपा इसे लागू करवाने के लिए अडिग है और देश भर में जन जागरण अभियान चला रही हैै।
मोदी —शाह पर गहलोत के सर्वाधिक वार— सीएम अशोक गहलोत देश के प्रमुख नेता है जो पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर सर्वाधिक हमले करते है। चाहे सीएए की बात हो, अर्थ व्यवस्था का मोर्चा हो या कोई और मसला हो। सीएए को लेकर देश में कई जगह हुई हिंसा के विरोध में गहलोत ने स्वयंसेवी संगठनों और कई विपक्षी दलों के साथ जयपुर में शांति मार्च भी निकाला था जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था। इसी शांति मार्च में गहलोत ने मंच से एलान किया था कि वे राजस्थान में सीएए को लागू नहीं करेंगे।
ये बातें होंगी प्रस्ताव में— नागरिकता संशोधन कानून को रदद करने के लिए लाए जाने वाले प्रस्ताव में ये कहा जाएगा कि ‘यह क़ानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है, साथ ही देश के धर्मनिरपेक्ष नज़रिए और देश के ताने बाने के ख़िलाफ़ है और इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।
केरल — पंजाब में भी प्रस्ताव पारित — सीएए के विरोध का ये सिलसिला केरल विधानसभा से शुरु हुआ था। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने सबसे पहले सीएए के खिलाफ प्रस्ताव को पेश करके पास कराया था और इसके बाद कांग्रेस शासित राज्य पंजाब में भी विधानसभा से सीएए के विरोध में संकल्प पारित हो चुका है।
ये हैं नागरिकता संशोधन कानून —
इस कानून के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, बशर्ते वे मुस्लिम न हों। यह कानून नागरिकता अधिनियम-1955 का संशोधित रूप है। यह 11 दिसंबर, 2019 को संसद ने पास कर दिया था और इसके बाद 10 जनवरी को देश भर में ये लागू हुआ जब गृह मंत्रालय ने गजट अधिसूचना जारी कर दी थी।
भाजपा करेगी जमकर विरोध— कांग्रेस सरकार की ओर से विधानसभा में लाए जाने वाले इस प्रस्ताव का भाजपा जमकर विरोध करेगी और मतदान की बात भी उठा सकती है।
इस कानून के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी, बशर्ते वे मुस्लिम न हों। यह कानून नागरिकता अधिनियम-1955 का संशोधित रूप है। यह 11 दिसंबर, 2019 को संसद ने पास कर दिया था और इसके बाद 10 जनवरी को देश भर में ये लागू हुआ जब गृह मंत्रालय ने गजट अधिसूचना जारी कर दी थी।
भाजपा करेगी जमकर विरोध— कांग्रेस सरकार की ओर से विधानसभा में लाए जाने वाले इस प्रस्ताव का भाजपा जमकर विरोध करेगी और मतदान की बात भी उठा सकती है।