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गहलोत सरकार का यू-टर्न! जनता नहीं, अब पार्षद चुनेंगे मेयर-सभापति-निकाय प्रमुख

locationजयपुरPublished: Oct 14, 2019 01:26:42 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

Gehlot Cabinet Decision, Direct elections of local bodies heads : राजस्थान की गहलोत सरकार ने आखिरकार निकाय प्रमुख, मेयर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से करवाने का फैसला ले ही लिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होने के बाद इसे मंज़ूरी दे दी गई।

Gehlot Cabinet Decision, Direct elections of heads urban local bodies
जयपुर।

Gehlot Cabinet Decision, Direct elections of heads local bodies heads : राजस्थान की गहलोत सरकार ने आखिरकार निकाय प्रमुख, मेयर और सभापति के चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से करवाने का फैसला ले ही लिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होने के बाद इसे मंज़ूरी दे दी गई। गौरतलब है कि निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से करवाए जाने को लेकर तत्कालीन गहलोत सरकार ने ही फैसला लिया था। लेकिन अब अपनी ही तत्कालीन सरकार का फैसला पलटते हुए चुनाव को अप्रत्यक्ष करवाने का फैसला लिया गया है।
पसोपेश में थी सरकार
निकाय चुनाव प्रमुखों के चुनाव प्रत्यक्ष करवाए जाएं या अप्रत्यक्ष, इसे लेकर सरकार पसोपेश में थी। सीएम गहलोत ने साफ़ किया था कि सभापति और महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष करवाए जाने को लेकर पार्टी मंच से वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की मांग उठ रही थी। इसी को मद्देनज़र रखते हुए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को प्रदेश भर के नेताओं से फीडबैक लेकर रिपोर्ट बनाने का ज़िम्मा सौंपा गया था। बताया गया था कि धारीवाल की रिपोर्ट के बाद ही सरकार महापौर और सभापतियों के चुनाव को लेकर कोई फैसला लेगी।
खुद ने की थी घोषणा, अब मारी पलटी!

विधानसभा चुनाव के दौरान महापौर और सभापतियों के सीधे चुनाव कराने की घोषणा सरकार ने ही की थी। सरकार बनते ही एक्ट में संशोधन कर सत्तारूढ़ कांग्रेस ने अपने इरादे तो जता दिए थे, लेकिन फिर यही सरकार के लिए गलफांस बनकर रह गई।

… तो इसलिए गहलोत सरकार बैकफुट पर!

राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही गहलोत सरकार ने विधानसभा में शैक्षणिक बाध्यता की शर्त हटाते हुए निगम महापौर और निकाय के सभापतियों के चुनाव सीधे करवाने का निर्णय कर दिया था। लेकिन लोकसभा चुनावों में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर प्रदेश में सभी 25 सीटों पर सूपड़ा होने और हाल ही में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद राजनीतिक हालात बदल गए।

जानकार बताते हैं कि कांग्रेस नेताओं को डर सता रहा था कि राष्ट्रवाद और धारा 370 के मामले में लोकसभा की तरह महापौर और सभापतियों के चुनाव में कांग्रेस को नुकसान न उठाना पड़ जाए। इसे लेकर कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी महापौर और सभापतियों के चुनाव सीधे नहीं कराने का सुझाव दिया था।
बैठकों में उठ रही थी मांग

हाल ही में प्रदेश कांग्रेस की बैठक में नेताओं ने सीधे चुनाव नहीं कराने का मामला उठाया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को ये जिम्मा सौंपा गया। इसके बाद धारीवाल ने तमाम विधायकों,संगठन के पदाधिकारीयों और लोकसभा ओर विधानसभा चुनाव में हारे नेताओ से इस बात पर राय- मशवरा की और उसी के आधार पर अपनी रिपोर्ट बनाई।
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