माना जा रहा है कि अब अब गहलोत कैबिनेट की बैठक प्रत्येक बुधवार को आयोजित हो सकती है। दरअसल विभागों को जब भी कोई नीतिगत फैसला लेना होता है तो इसे कैबिनेट के अनुमोदन के लिए भेजा जाता है। लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते आठ माह में कैबिनेट की चार ही बैठकें हो पाई हैं।
बीते आठ महीनों में गहलोत सरकार को अधिकांश फैसले सर्कुलेशन के जरिए ही करने पड़े हैं। सूत्रों की माने तो विभिन्न विभागों में कामों को रफ्तार मिल सके इसलिए सरकार कैबिनेट की बैठकें नियमित रूप से करना चाहती है।
ताकि बड़े फैसलों पर सर्कुलेशन के बजाय कैबिनेट में चर्चा की जा सके। हालांकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भी हर महीने के दूसरे और चौथे मंगलवार को कैबिनेट की बैठक करने का निर्णय लिया था। लेकिन काम काजी व्यस्तता के चलते सरकार अपने इस फैसले को पूरी तरह लागू नहीं कर पाई और उसे भी अपने कई बड़े फैसले सर्कुलेशन के जरिए ही करने पड़े।
ये भी एक वजह वहीं चर्चा ये भी है कि आगामी निकाय चुनावों के चलते प्रदेश में अक्टूबर माह के पहसे सप्ताह में अधिसूचना लग जाएगी, जिसके चलते सरकार जनहित से जुड़े बड़े मामलों की घोषणा नहीं कर पाएगी, ऐसे में प्रत्येक बुधवार को कैबिनेट बैठक बुलाकर विभागों के ज्यादा से ज्यादा मामलों पर चर्चा हो सके।