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गहलोत के विश्वस्त मंत्रियों को मिला चुनौतियों से भरा टास्क, पायलट कैंप से होगा सामना

locationजयपुरPublished: Sep 14, 2020 10:52:59 am

Submitted by:

firoz shaifi

-रघु शर्मा, अशोक चांदना, महेश जोशी, हरीश चौधरी और कटारिया को पायलट कैंप के असर वाले जिलों का प्रभार, रघु शर्मा टोंक-भीलवाड़ा, अशोक चांदना करौली-दौसा, महेश जोशी भरतपुर, हरीश चौधरी नागौर और लालचंद कटारिया को अजमेर का प्रभार

ashok gehlot

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फिरोज सैफी/जयपुर।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को जिलों के प्रभारी मंत्रियों को दूसरी बार इधर-उधर करते हुए जिलों का प्रभार बदला है। हालांकि बदले गए प्रभारी मंत्रियों में सबसे चुनौतीपूर्ण टास्क मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त मंत्रियों को ही दिया है।
मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त मंत्रियों को सचिन पायलट कैंप के असर वाले जिलों का प्रभार देकर उन्हें चुनौतियों के निपटने के साथ ही वहां मैनजमेंट करने का टास्क दिया है। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक का प्रभार दिया गया है। खेल मंत्री अशोक चांदना को दौसा और करौली जैसे जिलों का प्रभार दिया है, महेश जोशी को भरतपुर , हरीश चौधरी नागौर और लालचंद कटारिया को अजमेर जिले का प्रभार दिया गया है।
टोंक-
टोंक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का निर्वाचन क्षेत्र है, यहां का प्रभार चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के लिए कोई चुनौती से कम नहीं है। रघु शर्मा और सचिन पायलट के बीच अदावत जग जाहिर है, हाल ही में अजमेर में अजमेर संभाग के फीडबैक कार्यक्रम के दौरान रघु शर्मा को पायलट कैंप के समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा था। ऐसे में टोंक जिले में शर्मा को पायलट कैंप के नेताओं से सहयोग मिल पाने की संभावना कम ही नजर आती है।
दौसा-करौली-
दौसा-करौली जिलों को पायलट कैंप का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। दोनों ही जिले मीणा-गुर्जर बाहुल्य हैं। रमेश मीणा, पीआर मीणा, जीआर खटाणा जैसे पायलट कैंप के मजबूत विधायक इन्हीं जिलों से आते हैं।
ऐसे में खेल मंत्री अशोक चांदना के लिए भी इन जिलों का प्रभार संभालना आसान नहीं रहेगा। बाड़ाबंदी के दौरान पायलट कैंप का साथ नहीं देने के चलते अशोक चांदना को एक वर्ग विशेष के विरोध का सामना करना पड़ा था। चांदना के खिलाफ सोश मीडिया पर लंबा कैंपन चलाया गया था।
अजमेर-
अजमेर जिला में भी पायलट कैंप का खासा असर है, पायलट स्वयं अजमेर से सांसद रहते केंद्र में मंत्री रह चुके हैं, संगठन में भी यहां पायलट कैंप का ही बोलबाला है। पायलट के विश्वस्त राकेश पारीक अजमेर के मसूदा से विधायक हैं। शहर और देहात के पूर्व अध्यक्ष भी पायलट के करीबी हैं, ऐसे में लालचंद कटारिया को भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

नागौर-
नागौर जिले को भी पायलट कैंप के गढ़ के रूप में माना जाता है। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के मारवाड़ अंचल से आने के बावजूद उन्हें यहां पायलट कैंप के साथ-साथ नागौर से रालोपा सांसद हनुमान बेनीवाल से भी चुनौती मिलती रहेगी।
हरीश चौधरी और हनुमान बेनीवाल के बीच लंबी अदावत है। बाड़मेर में बेनीवाल के काफिले पर हुए हमले में बेनीवाल ने हमले का आरोप हरीश चौधरी पर लगाया था। वहीं नागौर जिले में पूर्व मंत्री रिछपाल मिर्धा, विधायक रामनिवास गावड़िया और मुकेश भाकर पायलट कैंप के मजबूत नेता हैं। गावड़िया और मुकेश भाकर पायलट के मानेसर कैंप में भी शामिल थे।
भरतपुर-
भरतपुर जिले को पायलट कैंप के गढ़ के रूप में देखा जाता है, पायलट कैंप के सबसे कद्दावर नेताओं में शामिल विश्ववेंद्र सिंह का भरतपुर में खासा प्रभाव है। मुख्यमंत्री के करीबी और विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी को भरतपुर जिले का प्रभार दिया गया है। हालांकि भरतपुर महेश जोशी का ससुराल भी है। बावजूद इसके यहां मैनजमेंट के साथ सबको साथ लेकर चलना जोशी के लिए भी आसान काम नहीं होगा।
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