बताया जाता है कि शानदार बजट घोषणाओं और उनके क्रियान्वयन के बावजूद लचर कानून व्यवस्था सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। मुख्य़मंत्री भी इससे बेहद नाराज हैं। इसी के चलते एक बार फिर नौकरशाही में बड़े फेरबदल की तैयारी सरकार में चल रही है।
सरकार में शीर्ष स्तर पर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नामों पर गंभीरता से मंथन चल रहा है और मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद जल्द ही तबादला सूची जारी हो सकती है। सूत्रों की माने तो आईपीएस अधिकारियों की सूची में एक दर्जन पुलिस अधीक्षकों नाम भी शामिल है। इसके अलावा डेढ़ दर्जन जिलों के कलेक्टरों के नाम भी सूची में बताए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने मांगी थी अपराधों पर जिलों से रिपोर्ट
विश्वस्त सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर घटनाक्रम के बाद सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से जिलों में अपराधों की रोकथाम की परफॉर्मेंस रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट के आधार पर ही कमजोर परफॉर्मेंस वाले पुलिस अधीक्षकों के नाम तबादला सूची में शामिल किए गए हैं।
इसके अलावा तकरीबन डेढ़ दर्जन जिलों के जिला कलेक्टरों के नाम की तबादला सूची में हैं। बताया जा रहा है कि अपने ही विधायकों और मंत्रियों की शिकायत के बात इन कलेक्टरों के नाम तबादला सूची में शामिल किए गए हैं। इससे पहले 30 जून को सीएम गहलोत ने 32 आईपीएस अफसरों की सूची जारी की थी जिनमें उदयपुर सहित आठ जिलों के पुलिस अधीक्षक बदले गए थे।
कानून व्यवस्था पर सीएम लेंगे कलेक्टर- एसपी बैठक
सूत्रों की माने तो नौकरशाही में बड़ा फेरबदल करने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों की बैठक लेकर कानून व्यवस्था मजबूत करने पर जोर देंगे। साथ जिलों में अपराधों के प्रति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के साथ किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं करने के निर्देश भी कलेक्टर एसपी को देंगे।
कांग्रेस थिंक टैंक में भी कानून व्यवस्था को लेकर नाराजगी
इधर सत्तारूढ़ कांग्रेस के थिंक टैंक में भी लचर कानून व्यवस्था को लेकर नाराजगी पनप रही है। कांग्रेस थिक टैंक का मानना है कि सरकार एक से बढ़कर एक योजना प्रदेश के हित के लिए ला रही है लेकिन अपराधों के प्रति अधिकारियों के लचर रवैए के चलते सरकार की योजनाओं को पलीता लग रहा है और इसका नुकसान प्रदेश में डेढ़ साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है। इसलिए कानून व्यवस्था मजबूत करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।
इंटेलिजेंस फेलियर के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी
राज्य की गुप्तचर शाखा (आइबी) के लगातार फेलियर के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने से सरकार के मंत्रियों और विधायकों में भी रोष देखने को मिल रहा है। करौली, जोधपुर, मांडल और छबड़ा में हुई सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं में इंटेलिजेंस का फेलियर सामने आया था।
बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, जबकि उदयपुर घटना में भी कांग्रेस के साथ-साथ विपक्ष के नेताओं ने भी इंटेलिजेंस फेलियर को जिम्मेदार माना था। ऐसे में आईबी से जुड़े अधिकारियों पर ही कार्रवाई नहीं होने को लेकर नौकरशाहों के बीच भी चर्चा खूब है।