सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना महमारी के बीच केंद्र सरकार 3 काले कानून क्यों लेकर आई, ऐसी कौनसी इमरजेंसी थी, पीएम मोदी और केंद्र सरकार को मालूम था कि अभी कोई कुछ कहने वाला नहीं है, इसलिए ये काले कानून ले आए, कृषि पर कानून लाने का अधिकार राज्यों का है उस पर केंद्र कानून बना रहा है। बिना किसानों की राय लिए और संसद में बिना बहस का बिल पारित करा दिए। सीएम ने कहा कि केंद्र की नीयत में खोट था,इसीलिए राज्यसभा में डिवीजन मांगने के बावजूद वोटिंग नहीं करवाई। कोरोना संकट के बीच यह बिल लाने की क्या जरूरत थी, कोरोना से लोग तकलीफ है।
राज्यों की आय घटी—
सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोना और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है, राज्य सरकारों की आय 40 फीसदी रह गई है। जीएसटी का पैसा केन्द्र दे नहीं रहा , केंद्र कह रहा है कि राज्य कर्ज लेकर काम चलाएं, जबकि कर्ज केन्द्र को लेना चाहिए। केंद्र सरकार को अर्थव्यवस्था की समझ नहीं है, वित्त मंत्री की पूछ नहीं है, अर्थव्यवस्था कब पटरी पर आएगी कोई कह नहीं सकता। ऐसे हालात में काले कानून की क्या जरुरत थी। सीएम गहलोत ने कहा कि देश में 86 फीसदी किसानों के पास 5 एकड़ से कम जमीन, ऐसे किसान क्या कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग करेंगे। नरेंद्र मोदी जब खुद गुजरात के सीएम थे तो एमएसपी की वकालत करते हुए मनमोहन सिंह सरकार को पत्र लिखा था। आज प्रधानमंत्री बनने के बाद इन कानूनों में एमएसपी का कोई जिक्र नहीं है।