पार्टी के शीर्ष नेता भी इस पर जवाब देने से बच रहे हैं। हालांकि अब गहलोत सरकार के मंत्री हर माह जिलों में जाकर जनसुनवाई करेंगे प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी अजय माकन ने भी मंत्रियों को इस के निर्देश दिए हैं।
भाजपा की तर्ज पर शुरू शुरू हुई थी जनसुनवाई
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार की तर्ज पर 7 अक्टूबर 2019 से जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसमें सोमवार से लेकर शुक्रवार तक 5 दिन अलग-अलग विभागों के मंत्री प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आकर जनसुनवाई करते थे।
जनसुनवाई में प्रदेशभर से फरियादी अपनी फरियाद लेकर पहुंचते थे लेकिन इसी साल फरवरी-मार्च माह में कोरोना संक्रमण का प्रभाव बढ़ने के चलते जनसुनवाई कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था उसके बाद आज आज तक ना तो प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय और ना ही और ना ही मंत्री अपने आवासों पर जनसुनवाई करते हैं। ऐसे में अपनी फरियाद लेकर आने वाले फरियादियों को मायूस होना पड़ रहा है
5 माह में आए थे 10000 फरियादी
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में 7 अक्टूबर 2019 को शुरू हुई जनसुनवाई में फरवरी फरवरी माह तक रिकॉर्ड 10000 फरियादी पहुंचे थे। सबसे ज्यादा ज्यादा फरियादी पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, और परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और कृषि मंत्री लाल सिंह कटारिया की जनसुनवाई में सबसे ज्यादा फरियादी आते थे।
23 मंत्री प्रभार वाले जिलों में करेंगे जनसुनवाई
गहलोत मंत्रिमंडल के 23 मंत्री हर माह एक दिन अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर जनसुनवाई करेंगे और तत्काल लोगों की समस्याओं का निस्तारण कर उसकी रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी अजय माकन को भेजेंगे।
पीसीसी में जनसुनवाई नहीं होने की एक वजह ये भी
पीसीसी की जनसुनवाई में दूर-दराज के जिलों से लंबा सफर तय करते हुए फरियादी पीसीसी पहुंचते थे जिससे उनका समय और पैसा दोनो खर्च होते थे, पूर्व में कई वरिष्ठ नेताओं ने भी लोगों को आने-जाने में होने वाली परेशानी से अवगत कराया था। बताया जाता है कि मंत्रियों के अलग-अलग जिलों में जाकर जनसुनवाई करने के पीछे भी यही वजह है।