इसमें लॉक डाउन की तुलना में जनता को कई मामलों में छूट दी गई है। सरकार से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की माने तो विशेषज्ञों की ओर से लॉकडाउन लगाने के भारी दबाव के बावजूद जन अनुशासन पखवाड़ा लागू करने के पीछे सरकार के मंत्रियों और विधायकों का मुख्यमंत्री पर भारी दबाव था।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं भी नहीं चाहते थे प्रदेश में जनता को लॉकडाउन जैसी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़े। इसलिए एक्सपर्ट के सुझाव भी दरकिनार किए गए
मंत्री विधायकों का था बड़ा दबाव
जानकारों की माने तो लॉकडाउन नहीं लगाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अपने ही मंत्रियों-विधायकों का भारी दबाव था। सरकार के अधिकांश मंत्री और विधायक लॉकडाउन के पक्ष में नहीं थे। इसे लेकर अधिकांश विधायकों ने भी मुख्यमंत्री के समक्ष लॉक डाउन की बजाए कोई दूसरा रास्ता अपनाने की मांग की थी जिससे कि जनता के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा ना हो।
कैबिनेट की बैठक में भी मंत्रियों ने किया था विरोध
सूत्रों की माने तो विशेषज्ञों की ओर से आए सुझावों को जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कल कैबिनेट की बैठक में लॉक डाउन की बात रखी तो अधिकांश मंत्री लॉकडाउन के खिलाफ थे। मंत्रियों ने वीकेंड कर्फ्यू और सख्ती बरतने यह सुझाव मुख्यमंत्री को दिए थे। सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी बैठक में खुलकर लॉकडाउन विरोध किया था।
लॉक डाउन के बाद झेलना पड़ा था जनता का विरोध
दरअसल सरकार के मंत्रियों विधायकों की ओर से लॉकडाउन नहीं लगाने की मांग के पीछे एक वजह ये भी है कि बीते साल प्रदेश में लागू किए गए लॉकडाउन के चलते मंत्री और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था ऐसे में मंत्रियों विधायक नहीं चाहते थे कि प्रदेश में लॉकडाउन लगाकर लोगों की नाराजगी मोल लेनी पड़े।
गौरतलब है कि कोरोना समीक्षा को लेकर लगातार हो रही बैठकों में चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री को लगातार 15 दिनों तक प्रदेश में संपूर्ण लॉकडाउन का सुझाव दिया था, जिससे कोरोना की चैन टूट सके।