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दल बदलते ही चली जाए सदस्यता, ऐसा कानून बने: गहलोत

locationजयपुरPublished: Feb 29, 2020 02:05:02 pm

Submitted by:

rahul

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि दल बदल कानून का विषय नाजुक है। दल बदल कानून प्राथमिकता हो सकती है लेकिन प्राथमिकता संविधान की मूल भावना को लेकर होनी चाहिए।

CM ashok gehlot

Cm Ashok Gehlot

जयपुर। सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि दल बदल कानून का विषय नाजुक है। दल बदल कानून प्राथमिकता हो सकती है, लेकिन प्राथमिकता संविधान की मूल भावना को लेकर होनी चाहिए। राज्य विधानसभा में संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्‍यक्ष की भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार में सीएम गहलोत ने कहा कि हर बार कोई ना कोई गली निकल ही जाती है। 35 साल पहले एक तिहाई सदस्य डिफेक्ट हो जाते थे तो उसे रेगूलेट माना जाता था, लेकिन बाद में दो तिहाई का कानून बना तो भी गलिया निकाल ली गई। इसलिए जरूरी है कि ऐसा सख्त कानून लोकसभा में बने कि कोई जनप्रतिनिधि जब चुनाव जीतकर आए, तो वो दल नहीं बदल सकता। यदि दल बदलता है तो उनकी मेंबरशिप चली जाएगी।

गहलोत ने कहा कि ये कानून बने तो कोई बात बन सकती है अन्यथा कितने ही प्रयास कर लेंगे। कोई ना कोई गली निकल ही जाएगी। सीएम गहलोत ने अध्यक्ष सीपी जोशी के सुझाव को भी खारिज करते हुए कहा कि जिस पार्टी के विधायक पार्टी ही छोड़कर जा रहे है तो पार्टी कैसे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकती है। गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर इस पर चर्चा हो तो रास्ता निकल सकता है। सीएम ने कहा कि इलेक्शन कमीशन हो या हाईकोर्ट जज या सुप्रीम कोर्ट जज ।

पद पर बैठने से किसी ना किसी पार्टी से जुड़ा रहता है लेकिन शपथ लेने के बाद वो भावना नहीं रहनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपति भी किसी न किसी पार्टी ये जुड़ा रहता है ऐसे में क्या मान लिया जाए कि उनका कोई भी फैसला पार्टी को देखकर लिया गया है। गहलोत ने कहा कि मैं ऐसा नहीं मानता , क्योंकि शपथ लेने के बाद बैंकग्राउंड मायने नहीं रखता है। गहलोत ने कहा कि देश में इस वक्त हालात गंभीर है , संविधान बचाने की बात हो रही है अगर संविधान बच जाता है तो ऐसी बाते स्वत: ही खत्म हो जाएंगी।

चुनावी चंदे और भ्रष्टाचार पर गहलोत कड़ा प्रहार-सीएम
सीएम गहलोत ने कहा कि विधायक या सांसद को चुनाव लड़ने के लिए पैसा कहां से आता है। कोई नहीं पूछ रहा है। उद्यमी, व्यवसायी चंदा देते हैं। ये पैसा कहां से आता है। इलेट्रोरियल बॉड को सीएम ने स्कैम बताया और कहा कि कभी न कभी ये स्कैम जरूर खुलेगा।

अध्यक्ष को मिले अधिकारों से लोकतंत्र हुआ कमजोर -सीपी जोशी
विधानसभा और लोकसभा में चुने हुए जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार देने की शक्ति स्पीकर को दी गई है लेकिन ये शक्ति ही लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। ये कहना है विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का । राजस्थान विधानसभा में संविधान की 10वीं अनुसूची में अध्यक्षों की भूमिका को लेकर एक दिवसीय सेमीनार आयोजित किया गया । कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि अध्यक्ष को दिए गए अधिकार का दुरुपयोग हो रहा है ।

आज छोटी पार्टी जिसके जनप्रतिनिधियों की संख्या कम है जिसे जनता ने चुनकर भेजा है वे पार्टी को पूछे बिना ही बहुमत के आधार पर दूसरी पार्टी में विलय कर लेते है ये लोकतंत्र का मजाक है। उन्होंने कहा की बड़ी पार्टियों में अलग तरह का खेल हो रहा है । वहां जनप्रतिनिधियों को इस्तीफा दिलवाकर बहुमत मैनेज कर दुबारा चुनाव कराया लिया जाता है। सीपी जोशी ने कहा कि जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार देने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष को होना चाहिए पार्टी। अध्यक्ष चुनाव आयोग को लिखकर भेजे की उक्त जनप्रतिनिधि हमारी पार्टी की रिति नीति के अनुसार काम नहीं कर रहा है। ऐसे में इसे अयोग्य करार दिया जाए। जोशी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का काम संसदीय नियमों के अंतरगत सदन को सुचारू रूप से चलाने का है।

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