पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लाभार्थी सम्मेलन और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा में सरकारी पैसे और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर रोक लगाने को लेकर मुख्य सचिव डी. बी. गुप्ता को पत्र भेजा है। चुनावी फायदे के लिए भाजपा की ओर से यह हथकण्डे अपनाए जाने का आरोप लगाने के साथ ही मुख्य सचिव गुप्ता को याद दिलाया है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में खाद्य सुरक्षा योजना की समीक्षा के दौरान तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और हाल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आरोप लगाए थे। ऐसे में मुख्य सचिव रहे सी.के. मैथ्यू को छुट्टी पर जाना पड़ा था।
ये लगाए आरोप गहलोत ने पत्र में कहा कि पहले लाभार्थी जनसंवाद कार्यक्रम सरकारी होना बताया गया, जिसमें प्रधानमंत्री के अलावा राज्यपाल कल्याण सिंह भी मौजूद थे। जिसे बाद में भाजपा की सभा के रूप में परिवर्तित कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा, एससी-एसटी लाभार्थी, सफाई कर्मचारी संवाद, नवचयनित शिक्षक और अब कांस्टेबल को हैड कांस्टेबल में पदोन्नति देकर बुलाया जा रहा है। इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभान्वित परिवारों के लिए भामाशाह डिजिटल परिवार योजना लागू कर सरकारी खजाने से मोबाइल के लिए राशि उपलब्ध कराई जा रही है। इन सभी कार्यों के लिए न बजट घोषणा की और ना ही बजट प्रावधान किया गया। सरकारी पैसे के दुरुपोयग को लेकर न्यायालय के आदेशों की पालना भी नहीं की जा रही। यह सभी चुनाव जीतने के लिए ओछे हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं।
लाभार्थी संवाद की बजाय कर्मचारियों की सुने…
गहलोत ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार को लाभार्थी सम्मेलन बुलाने के बजाए आक्रोशित कर्मचारियों की सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रोडवेज में चक्काजाम होने से लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली कम्पनियों के कर्मचारी दो दिनों से जगतपुरा में महापड़ाव डाले हुए है। आम आदमी को इनके आंदोलन की वजह से बिजली और पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े, इसलिए कर्मचारियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं पर विचार करना चाहिए।
गहलोत ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार को लाभार्थी सम्मेलन बुलाने के बजाए आक्रोशित कर्मचारियों की सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रोडवेज में चक्काजाम होने से लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली कम्पनियों के कर्मचारी दो दिनों से जगतपुरा में महापड़ाव डाले हुए है। आम आदमी को इनके आंदोलन की वजह से बिजली और पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े, इसलिए कर्मचारियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं पर विचार करना चाहिए।