पूरे परकोटे के बाजार को बंद न करें
जयपुर व्यापार महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और गोपाल जी का रास्ता व्यापार मंडल अध्यक्ष हरीश केड़िया ने बताया कि दो माह से परकोटे के बाजार बंद है। करोड़ो रुपए की विदेशी मुद्रा का लेनदेन इसी बाजार से होता है। जिस माल की कीमत एक करोड़ होती थी अब यह माल 25 लाख रुपए तक ही रह गया। जहां कोविड के मरीज मिले वहीं जिला प्रशासन संपूर्ण बाजार को बंद न कर चुनिंदा कुछ मीटर के क्षेत्र में ही कफ्र्यू लगाए। माणकचौक, कोतवाली, नाहरगढ रोड, सुभाषचौक, ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में उक्त कार्य सबसे ज्यादा होता है। दुकानें और कार्यालय बंद होने से व्यापारी वर्ग आर्थिक और मानसिक परेशानी से जूझ रहा है। कई बार व्यापारियों ने निश्चित समयानुसार दुकानों को खोलकर अपने माल को संभालने की गुहार की है। जल्द से जल्द प्रशासन सुबह 11 से शाम 5 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति दें। नए साल में फिर से कार्य पटरी पर अच्छे तरीके से सुचारू हो पाएगा।
जयपुर व्यापार महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और गोपाल जी का रास्ता व्यापार मंडल अध्यक्ष हरीश केड़िया ने बताया कि दो माह से परकोटे के बाजार बंद है। करोड़ो रुपए की विदेशी मुद्रा का लेनदेन इसी बाजार से होता है। जिस माल की कीमत एक करोड़ होती थी अब यह माल 25 लाख रुपए तक ही रह गया। जहां कोविड के मरीज मिले वहीं जिला प्रशासन संपूर्ण बाजार को बंद न कर चुनिंदा कुछ मीटर के क्षेत्र में ही कफ्र्यू लगाए। माणकचौक, कोतवाली, नाहरगढ रोड, सुभाषचौक, ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में उक्त कार्य सबसे ज्यादा होता है। दुकानें और कार्यालय बंद होने से व्यापारी वर्ग आर्थिक और मानसिक परेशानी से जूझ रहा है। कई बार व्यापारियों ने निश्चित समयानुसार दुकानों को खोलकर अपने माल को संभालने की गुहार की है। जल्द से जल्द प्रशासन सुबह 11 से शाम 5 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति दें। नए साल में फिर से कार्य पटरी पर अच्छे तरीके से सुचारू हो पाएगा।
—
जेम और ज्वैलरी का माल कारीगरों के पास
व्यापारियों ने बताया कि उक्त रत्नों से सोना, चांदी, जेम्स और ज्वैलरी से निर्मित आभूषण तैयार करने के लिए बंगाली कारीगरों को माल दिया गया था। परंतु अचानक लॉकडाउन होने से वह माल कारीगरों के पास ही रह गया। इससे यह भी नहीं पता चल रहा कि कारीगर यहां है या पलायन कर चुके। जिससे बड़ा नुकसान होने का डर भी सबको सता रहा है। एक लाख बंगाली कारीगर राजधानी में इस कार्य से जुड़े हैं।
जेम और ज्वैलरी का माल कारीगरों के पास
व्यापारियों ने बताया कि उक्त रत्नों से सोना, चांदी, जेम्स और ज्वैलरी से निर्मित आभूषण तैयार करने के लिए बंगाली कारीगरों को माल दिया गया था। परंतु अचानक लॉकडाउन होने से वह माल कारीगरों के पास ही रह गया। इससे यह भी नहीं पता चल रहा कि कारीगर यहां है या पलायन कर चुके। जिससे बड़ा नुकसान होने का डर भी सबको सता रहा है। एक लाख बंगाली कारीगर राजधानी में इस कार्य से जुड़े हैं।