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Gender Equality के लिए बदलना होगा समाज का माइंटसेट

locationजयपुरPublished: Jul 17, 2020 07:12:35 pm

आरटीयू और पूर्णिमा कॉलेज की ओर से ‘जेंडर इक्वलिटी एंड वुमन राइट्स’ वेबीनार , विशेषज्ञों ने कहा— मन व माइंड का कोई जेंडर नहीं होता

Gender Equality के लिए बदलना होगा समाज का माइंटसेट

Gender Equality के लिए बदलना होगा समाज का माइंटसेट

सुरेंद्र बगवाड़ा , जयपुर

मन व माइंड का कोई जेंडर नहीं होता है। सामाजिक बदलाव लाकर बालिकाओं व महिलाओं को समानता का अहसास कराना होगा। जेंडर इक्वलिटी के लिए शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। जेंडर इक्वलिटी के लिए समाज के माइंटसेट को बदलना होगा। नई पीढ़ी का बुनियादी विकास घरों में महिलाओं के साथ ही होता है।
यह कहना है राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी ( RTU ) के वाइस चांसलर प्रो. आर. ए. गुप्ता का। यूनिवर्सिटी और पूर्णिमा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ( poornima college ) की ओर से शुक्रवार को ‘जेंडर इक्वलिटी एंड वुमन राइट्स’ सब्जेक्ट पर वेबीनार हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने जेंडर इक्वलिटी पर विचार रखे। इस वेबिनार में महिलाओं के अधिकारों व कानूनों के बारे में चर्चा की गई।
वहीं, कॉलेज के डायरेक्टर व प्रिंसिपल डॉ. महेश बुंदेले ने वेबीनार के उद्देश्यों के बारे में बताया। इस दौरान राजस्थान यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज की डायरेक्टर डॉ. संजुला थानवी और जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ की एचओडी डॉ. नमिता जैन ने महिला समानता तथा महिलाओं से संबंधित कानूनों व उनके अधिकारों के बारे में विस्तार बातचीत की।
डॉ. नमिता जैन ने इंडिया में महिलाओं के संवैधानिक व कानूनी अधिकारों को बताया। कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए जेंडर इक्वलिटी को आवश्यक है। सशक्त महिलाओं का घर, समाज व देश के विकास में अधिक योगदान होता है। जेंडर इक्वलिटी को ह्यूमन राइट बताते हुए सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक संदर्भ में इसका अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि यदि हर घर से ही बालिकाओं व महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाए तो इसके लिए किसी कानून की आवश्यकता नहीं होगी।
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