इस मामले में न्यू एवं रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय (एमएनआरई) ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग, अक्षय ऊर्जा निगम और ऊर्जा विभाग को साफ कर चुका है कि इस मामले में ऊर्जा मंत्रालय स्तर पर समीक्षा की जा रही है। इसके बावजूद अब भी राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग की ओर से ग्रिड इंटरेक्टिव डिस्ट्रीब्यूटेड रिन्यूएल एनर्जी जनरेशन सिस्टम 2021 के जारी ड्राफ्ट पर जनसुनवाई चल रही है। इस गफलत के हालात से आमजन और सोलर प्लांट से जुड़े व्यवसायियों में खलबली मचा दी है।
यह मुख्य सुझाव-आपत्ति
-नए प्रावधान से रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट की उपयोगिता को झटका लगेगा, इसलिए इसे हटाया जाए।
-जब तक केंद्र सरकार समीक्षा और संशोधन को लेकर कोई निर्णय नहीं ले लेती, तब इसे लागू नहीं करें।
-फिलहाल 6 से 1 साल तक का समय दिया जाए ताकि जो लोग रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने के इच्छुक हैं, वे पुराने प्रावधान के तहत ही लगा सकें। यूं समझें : नेट मीटरिंग से नेट बिलिंग में शिफ्ट होने के हालात
1. नेट मीटरिंग- मसलन, रूफटॉप सोलर प्लांट से हर माह 300 यूनिट बिजली उत्पादन होता है। इसमें से उपभोक्ता 240 यूनिट बिजली खुद उपभोग कर लेता है और बाकी 60 यूनिट बिजली ग्रिड में चली जाती है। ऐसे में उपभोक्ता का बिजली बिल 60 यूनिट के आधार पर ही बनेगा। यह पूरी प्रक्रिया को नेट मीटरिंग है।
2. नेट बिलिंग- रूफटॉप सोलर प्लांट से हर माह 300 यूनिट बिजली उत्पादन होता है तो वह उस बिजली का उपभोग अपने लिए नहीं कर पाएगा बल्कि, उसे पूरी बिजली ग्रिड में देनी होगी। इसके बदले उसे डिस्कॉम द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में बिजली खरीद दर (कॉमर्शियल व औद्योगिक के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त) के आधार पर भुगतान होगा, जो फिलहाल 2.50 रुपए प्रति यूनिट ही है। जो बिजली खुद उपभोग करेगा, उसका भुगतान डिस्कॉम की बिलिंग विद्युत दर से ही करना होगा।