जवाब : जुड़वां बच्चों की डिलीवरी यदि पूर्ण गर्भकाल के बाद या ३७ हफ्तों के बाद और २.५ किलो के वजन तक या ऊपर हुई है तो ज्यादातर मामलों में बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास में कोई कमी नहीं आती है। यदि बच्चे गर्भ में ही एकदूसरे से जुड़े हों, पैदाइशी कोई समस्या हो या वजन में कमी होती है तो उनका विकास प्रभावित हो सकता है। प्रसव के बाद पहले छह माह मां का दूध ही बच्चों की सेहत पर सकारात्मक असर करता है। ऐसे में जरूरी है कि मां दोगुनी मात्रा में पौष्टिक चीजें खाएं और पीएं ताकि शिशुओं में दूध की पर्याप्त मात्रा पहुंचे।
क्या मां दोनों बच्चों को एकसाथ एक समय में बे्रस्टफीड करा सकती है?
जवाब : हां, मां एक समय में एकसाथ दोनों बच्चों को ब्रेस्टफीड करा सकती है बशर्ते वह खुद सहज महसूस करे व दोनों शिशुओं को पकडऩे में कोई दिक्कत न हो।
किन परिस्थितियों में खास केयर की जरूरत होती है?
जवाब : २ किलो वजन से कम और यदि शिशु ३७ हफ्ते से पहले जन्मे हैं तो उन्हें नियोनेटल केयर की जरूरत होती है। इसके तहत बच्चों के शरीर का तापमान गर्म रखते हैं। मां को बार-बार ब्रेस्टफीड कराना होता है। किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाने के लिए आसपास साफ- सफाई का ध्यान रखें। उन्हें उठाते, पकड़ते या खिलाने से पहले हाथों को साफ करें। शिशुओं को कंगारू केयर (बच्चों को मां की त्वचा से चिपका कर रखना) दें।
जुड़वा बच्चों की हरकतें एकसमान क्यों होती है?
जवाब : गर्भावस्था के दौरान बच्चे जब मां के गर्भनाल से जुड़े होते हैं तो इसी वजह से वे जेनेटिकली एक जैसी हरकतें कर पाते हैं। जिसमें रोना, हंसना, सोना आदि शामिल है। जितना भी समय वे एकसाथ में गर्भ में बिताते हैं वहां वे एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं और एक जैसी हरकत करते हैं। महिला यदि गौर करे तो इन हरकतों को महसूस कर सकती है।
छह माह और इसके बाद बच्चों को क्या खिलाएं?
जवाब : ६ माह तक बे्रस्टमिल्क बेहद जरूरी है और यदि मां को पर्याप्त दूध नहीं बन रहा है तो वह सूखे मेवे व दलिया खाए और दूध पीए। इसके बावजूद नहीं आता है तो फॉर्मूला मिल्क बच्चों को पिलाए। सूजी से बनी पतली खीर, उबली दाल या आलू मैश कर, अंडे का पीला भाग और रोटी को दाल या दूध में भिगोकर खिलाएं, केला, पपीता या अन्य चीजें भी खिला सकती है।
जवाब : कह सकते हैं कि दूध की मात्रा नेचुरल है। बच्चा चाहे एक हो या जुड़वां, दूध उसी अनुसार निर्मित होता है। लेकिन यदि दूध बिल्कुल नहीं बन रहा या कम बन रहा है तो खानपान में दूध, दही, छाछ, पनीर, सूखे मेवे, दलिया, मौसमी फल और सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं।
जुड़वां बच्चों को गोदी में लेने का सही तरीका क्या है?
जवाब : ५-६ माह की उम्र तक शिशु की गर्दन काफी लचीली होती है। ऐसे में उन्हें उठाते या गोद में लेते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है। गर्दन के असंतुलित होने से शिशु के चोटिल होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए कोशिश करें एक समय में एकसाथ दोनों शिशुओं को गोद में न लें। ध्यान रखें कि एक को आप कैरी करें तो दूसरे बच्चे को आपका पार्टनर गोद में ले।