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चारदीवारी बने तो मिले राहत, खुले में पकता है पोषाहार

locationछिंदवाड़ाPublished: Feb 01, 2016 11:40:00 pm

Submitted by:

Abhishek sharma

शहर के वीर हनुमान मार्ग स्थित राजकीय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय से
चारदीवारी की कमी, पेयजल सहित विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। विद्यालय की
स्थापना वर्ष 1948 में प्राथमिक विद्यालय के रूप में हुई थी। वर्ष 1953
में विद्यालय को प्रवेशिका में क्रमोन्नत किया गया। विद्यालय को प्रवेशिका
विद्यालय का दर्जा तो मिल गया, लेकिन सुविधाओं व व्यवस्थाओं में विस्तार
समयानुसार नहीं हुआ।

शहर के वीर हनुमान मार्ग स्थित राजकीय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय से चारदीवारी की कमी, पेयजल सहित विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। विद्यालय की स्थापना वर्ष 1948 में प्राथमिक विद्यालय के रूप में हुई थी। वर्ष 1953 में विद्यालय को प्रवेशिका में क्रमोन्नत किया गया। विद्यालय को प्रवेशिका विद्यालय का दर्जा तो मिल गया, लेकिन सुविधाओं व व्यवस्थाओं में विस्तार समयानुसार नहीं हुआ। इधर, विद्यालय को जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से चार बीघा भूमि का आवंटन को कर दिया, लेकिन इसके चारदीवारी नहीं होने से शिक्षकों व विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
चार दीवारी नहीं होने से परेशानी
शिक्षकों व विद्यार्थियों ने बताया कि विद्यालय के चारदीवारी नहीं होने से लोग विद्यालय के समीप तलाई में मरे हुए पशुओं को डाल देते हैं। इससे बदबू फैलने से अध्ययन के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही मृत जानवर के पास दिनभर श्वान भी मण्डराते रहते हैं। कई बार तो श्वान कक्षा-कक्ष तक आ जाते हैं। वहीं चारदीवारी नहीं होने से असामाजिक तत्व भी कई बार विद्यालय भवन में आकर शराब पीते हैं। इससे चोरी की वारदात होने की संभावना रहती है। गौरतलब है कि डेढ़ साल पूर्व सितम्बर 2014 में विद्यालय से दस कम्प्यूटर चोरी हो गए थे।
सहयोग से मंगवाते हैं पेयजल
विद्यालय में पेयजल टंकी बनी हुई है, लेकिन नल कनेक्शन नहीं होने से विद्यालय प्रबंधन को पेयजल बाहर से टैंकरों से मंगवाकर डलवाना पड़ रहा है। इसमें उनकी ओर से भामाशाहों का सहयोग लिया जा रहा है।
पदों की स्थिति
विद्यालय में एक प्रधानाचार्या, पांच वरिष्ठ अध्यापक व आठ तृतीय श्रेणी अध्यापकों के पद स्वीकृत है। इनमें से विद्यालय में एक पद गणित का रिक्त है, जिसके चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। जबकि बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक है। विद्यालय में सत्र 2015-16 में 152 छात्र-छात्राएं अध्यननरत है। रसोईघर का अभाव होने से पोषाहार विद्यालय परिसर में खुले में ही पकाया जाता है। ऐसे में कई बार पोषाहार बनाते समय आवारा श्वान आसपास मण्डराते रहते हैं। वहीं बारिश के दिनों में भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एस्टीमेट बनवाकर भेजा गया
चार दीवारी निर्माण को लेकर शिक्षा विभाग को एस्टीमेट बनवाकर भेजा गया था, जो विचाराधीन है। इस बारे में ग्रामीणों व अभिभावकों ने भी जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया था, तब उनकी ओर से चारदीवारी बनवाने का आश्वासन दिया गया था।
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