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घनश्याम तिवाडी: बचपन से आज तक और भाजपा से वाहिनी तक का सफर..

locationजयपुरPublished: Jun 25, 2018 04:59:01 pm

Submitted by:

Veejay Chaudhary

—वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं।

jaipur

घनश्याम तिवाडी: बचपन से आजतक और भाजपा से वाहिनी तक का सफर..

जयपुर. 19 दिसंबर 1947 को सीकर में जन्मे घनश्याम तिवाड़ी छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। देश और समाज के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा उन्हें अपने परिवार से मिली। आजादी के बाद 1948 में जब संघ को प्रतिबंधित किया गया था। तब उनके ताऊजी ने विरोध किया और जेल गए। राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में जन्मे और पले-बढ़े तिवाड़ी को सीकर के श्री कल्याण संस्कृत महाविद्यालय में छात्र हितैषिणी सभा का महामंत्री बनाया गया। 1968 से 1970 तक तिवाड़ी इस सभा के महामंत्री रहे और छात्र हित में कार्य करते रहे। यहीं से उन्हें राजनीतिक सामाजिक सेवा की इच्छा को बल मिला। तिवाड़ी ने श्री कल्याण संस्कृत महाविद्यालय से ही स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जयपुर से एलएलबी की डिग्री हासिल की और 1970-71 में राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ एपेक्स बॉडी के सदस्य रहे। साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयोजक एवं उपाध्यक्ष तथा राजस्थान युवा संघ व अखिल भारतीय संयोजक मंडल के अध्यक्ष भी रहे। देश में 1975 के दौरान लगे आपातकाल ने तिवाड़ी को पूरी तरह राजनीतिक रण में उतार दिया। उन्होंने जमकर जनविरोधी नीतियों का विरोध किया। परिणामस्वरूप इन्हें जेल जाना पडा, जहां कई तरह की यातनाएं झेलीं। इसके विरोध में जयप्रकाश नारायण जैसे जननायकों ने अनशन किया। यहीं से तिवाड़ी का जीवन बदल गया और वे पूरी तरह से सामाजिक-राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। इसके बाद वह भाजपा की सेंट्रल वर्किंग कमेटी के भी सदस्य रहे।
छात्र जीवन में ये रहे पद

श्री कल्याण कॉलेज, सीकर के महामंत्री बने। उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ की अपेक्स बॉडी के सदस्य बने। इसी दौरान छात्र संगठन एबीवीपी के संयोजक एवं उपाध्यक्ष भी बनाए गए। इसके बाद राजस्थान युवा संघ एवं अखिल भारतीय संयोजक मंडल के अध्यक्ष रहे।
किस वर्ष में कहां से विधायक रहे
1980 से 1985 तक प्रथम बार विधायक, विधानसभा क्षेत्र सीकर
1985 से 1989 तक पुन: विधानसभा क्षेत्र सीकर से विधायक
1993 से 1998 तक विधानसभा क्षेत्र, चौमूं से विधायक
2003 से 2008 तक विधानसभा क्षेत्र, सांगानेर से विधायक
2008 से 2013 तक विधानसभा क्षेत्र, सांगानेर से विधायक
2013 से वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र, सांगानेर से विधायक
कब और कौनसा मंत्रिपद संभाला
—02 जुलाई, 1998 से 30 नवम्बर, 1998 तक श्री भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व वाली सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे।
—08 दिसम्बर, 2003 से 2007 तक श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, विधि एवं न्याय, संसदीय मामले, भाषाई अल्पसंख्यक, पुस्तकालय एवं भाषा मंत्री तथा दिसम्बर, 2007 से वर्ष 2008 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, विधि एवं न्याय मंत्री का कार्यकाल भी संभाला।
भाजपा से ये रही संबद्धता
1981 में सीकर से 6 वर्ष तक जिला अध्यक्ष रहे।
1991 में प्रदेश महामंत्री बने।
1989 से 2003 तक प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर काम किया।
1992 से 1994 तक राष्ट्रीय परिषद् के सदस्य रहे।
1992 से 1994 तक प्रदेश प्रवक्ता के रूप में काम किया।
1992 से 1994 तक प्रदेश भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य रहे।
2000 से राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनाए गए।
2008 में प्रदेश की चुनाव घोषणा-पत्र समिति के अध्यक्ष बनाए गए।
और जून 2018 का वह दिन…

काफी समय से पार्टी के कुछ लोगों के साथ चल रहे मनमुुटाव को लेकर तिवाडी अलग—थलग तो दिखे, लेकिन इस बीच कई तरह के कयास लगाए गए। अंत में वही हुआ जो पार्टी के तथाकथित लोग चाहते थे और एकाएक तिवाडी ने पार्टी से इस्तीफा दे ही दिया।
पहले ही हो चुका था गठन

दीनदयाल वाहिनी का गठन 19 दिसम्बर 2015 को घनश्याम तिवाड़ी के जन्मदिवस पर पंडित दीनदयाल स्मृति संस्थान के अंतर्गत जयपुर में किया गया था। वाहिनी के गठन के तात्कालिक उद्देश्य बने राजस्थान की रक्षा तथा आर्थिक न्याय और सामाजिक समरसता के पुनीत कार्य। दीर्घकालिक उद्देश्यों में दिव्य भारत का निर्माण तथा दिव्य मानवजाति का सृजन, जो की भारतीय संस्कृति की उच्चतम अभीप्सा रही है, को लिया गया।
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