रविवार को तिवाड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 5 सितंबर को डॉ. एस. राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है। शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान किया जाता है, परंतु इस बार शिक्षकों को लाभार्थी मानते हुए शिक्षक दिवस पर दिसंबर 2013 के बाद नियुक्त शिक्षकों को अमरूदों के बाग में आने के लिए विवश किया जा रहा है। इस साल सरकार 62 शिक्षकों के स्थान पर 31 शिक्षकों को ही शिक्षक दिवस पर सम्मान के योग्य माना है। उन्होंने वसुंधरा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में 27 हजार स्कूल बंद कर दिए गए। करीब 72 हजार शिक्षकों के पद समाप्त कर दिए गए। यही नहीं, स्थानांतरण को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर राज्य में तबादलों का नया कुटीर उद्योग खड़ा कर दिया गया।
नीयत पर उठाए सवाल तिवाड़ी ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षा से नियुक्त हुए शिक्षक कृपापात्र कैसे हो सकते हैं? यदि ये शिक्षक लाभार्थी हैं तो फिर मुख्य शासन सचिव या आईएएस या अन्य अधिकारी भी लाभार्थी कहे जाने चाहिए। उन्होंने लाभार्थियों के आंकड़ों को भी भ्रमित करने वाला बताते हुए कहा कि 31,406 पदोन्नत शिक्षकों को भी नई नियुक्ति मानते हुए लाभार्थी बता दिया गया है।
काले रंग का फोबिया तिवाड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को काले रंग का फोबिया हो गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान गौरव यात्रा के दौरान बाड़मेर में मकानों पर काले कपड़े सुखाने पर ही पाबंदी लगा दी गई। अब शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के काले रंग के कपड़े, जूते, जुराब या बेल्ट पहनकर आने प कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। उन्होंने तंज कसा कि क्या अब मुख्यमंत्री स्कूलों में जाना बंद कर देंगी या फिर दौरे से पहले ब्लैक बोर्ड हटवाए जाएंगे?
कार्रवाई का हक नहीं तिवाड़ी ने कहा कि शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार जनगणना, चुनाव तथा आपदा के अलावा किसी अन्य कार्य में नहीं लगाया जा सकता है। शिक्षक दिवस पर लाभार्थी सम्मेलन में शिक्षकों की उपस्थिति को बाध्यकारी नहीं बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समारोह में नहीं आने वाले शिक्षकों का जो अधिकारी वेतन काटेगा, वह जेल जाएगा। समारोह में काले कपड़े पहनकर आने वालों का भी कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है।