निजी दौरे पर दिल्ली आए तिवाड़ी ने कहा है कि लोकतंत्र खतरे में होने के आरोप लगाते हुए ही उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ा था। इसलिए भाजपा में वापसी मुश्किल है और न ही उन्हें पार्टी की तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव फिलहाल मिला है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा से अलग होकर घनश्याम तिवाड़ी ने भारत वाहिनी पार्टी का गठन कर चुनाव लड़ा था लेकिन इसमें उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि तीसरे मोर्चे का कोई भविष्य नहीं है और मार्च के पहले सप्ताह में कांग्रेस में जुड़ने पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
लोकतंत्र के हित की में जो पार्टी बात करेगी उसका साथ दिया जाएगा, क्योंकि लोकतंत्र खतरे में कहकर ही भाजपा छोड़ी थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दो बार मुलाकात हुई लेकिन वो निजी थी उसका कोई राजनैतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
गौरतलब है कि संगठन महामंत्री रामलाल पिछले दिनों दौरे पर आए थे। उन्होंने बिछड़े लोगों को फिर से जोडऩे के काम पर ध्यान देने की बात कही। केन्द्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही भाजपा से छिटके नेताओं के वापसी के आसार बनने लगे। इनमें घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल, हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवां, धनसिंह रावत सहित ऐसे बीस से ज्यादा नेता हैं।
हालांकि इन नेताओं की घर वापसी किस मापदंड के तहत होगी, इसे लेकर अभी मंथन चल रहा है। इतना जरूर तय किया गया है कि जिन बागियों को पुन: पार्टी में शामिल किया जाएगा, उनकी कोई शर्त नहीं मानी जाएगी।