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फेशियल रिकॉग्नीशन टेक्नोलॉजी से पहचाना जाएगा पांडा भी

locationजयपुरPublished: May 19, 2019 04:40:49 pm

Submitted by:

Shalini Agarwal

चीन ने विकसित किया एप, जो इंसानों की तरह पांडा को भी फेशियल रिकॉग्नीशन टेक्नोलॉजी से पहचानेगा

Giant Pandas

फेशियल रिकॉग्नीशन टेक्नोलॉजी से पहचाना जाएगा पांडा भी

बीजिंग। चीन ने एक ऐसा एप विकसित किया है, जो पर्यावरणविदों की हरके पांडा को अलग-अलग फेशियल रिकॉग्नीशन टेक्नोलॉजी के जरिए पहचाने में मदद करेगा। इसके लिए शोधकर्ताओं ने एक लाख बीस हजार फोटोज का एक डाटाबेस भी तैयार किया है और जाइंट पांडा की 10 हजार वीडियो क्लिप्स भी जुटाई हैं। इससे हर जानवर को एकदम सही-सही से अलग-अलग पहचानने में मदद मिलेगी। जाइंट पांडा के लिए चाइना कंसर्वेशन एंड रिसर्च सेंटर में शोधकर्ता शेन पेंग के मुताबिक, यह एप और डाटाबेस हमें उन पांडा की जनसंख्या, उनका वितरण, आयु, लिंगानुपात, जन्म और मृत्यु के बारे में एकदम सटीक जानकारी इकट्ठा करने में मदद करेगा, जो पड़ाहों पर काफी दुष्कर जगहों पर रहते हैं और जिनके बारे में ट्रैक करना अमूमन मुश्किल होता है। चीन ने बीते साल भी अमरीका के यलोस्टोन नेशनल पार्क से तीन गुना बड़े एक गढ़ या पार्क को बनाने की योजना की घोषणा की थी, ताकि पांडा की संख्या को बढ़ाया जा सके। यह जीव वैसे भी बहुत कम दर से बच्चे देता है। इसलिए बहुत समय से इस पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि एक पांडा मरने से पहले बच्चे दे, यह जरूरी नहीं है। इस पार्क का नाम जाइंट पांडा नेशनल पार्क होगा। चीन के दक्षिणी पश्चिम पहाडिय़ों में बनने वाले इस पार्क को बनाने में 10 बिलियन युनान यानी दो बिलियन अमरीकी डॉलर का खर्चा आएगा। गौरतलब है कि इनके प्राकृतिक आवास घटने की वजह से इसे इंटरनेशनल यूनिवन फॉर कंसर्वेशन ऑफ नेचर ने अपनी रेड लिस्ट में डाला हुआ है और इसे संकटापन्न घोषित किया हुआ है। यही वजह से कि न केवल चीन में बल्कि दुनिया के और देश भी पांडा के अस्तित्व को बचाए रखने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि दुनिया भर में जंतुआलयों में अब केवल 548 जाइंट पांडा बचे हैं। वहीं जंगल में रह रहे पांडा की संख्या 2000 से भी कम रह गई है।
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