सुकन्या की मां वर्ष 1987 में जयपुर में लावारिस हालत में मिली थी। उसे महिला विमंदित गृह भेज दिया। वर्ष 1994 में पता चला कि वह गर्भवती है। महिला चिकित्सालय में 19 जुलार्इ 94 को जांच की तो पता चला कि वह 20 सप्ताह की गर्भवती है। इस पर तत्कालीन महिला विमंदित गृह अधीक्षक व आचार्य आरएल मीणा ने जवाहरनगर थाने में दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करार्इ थी। बाद में महिला ने सुकन्या को जन्म दिया लेकिन मां विमंदित थी इसलिए सुकन्या को बालिका गृह भेज दिया गया।
कोर्ट ने दिए डीएनए जांच के आदेश सुकन्या के भविष्य के मददेनजर कोर्ट ने जवाहरनगर पुलिस को असली पिता की पहचान के लिए डीएनए कराने के नवम्बर 2016 में आदेश दिए थे। पुलिस ने गिरफतार हुए कर्मचारियों में उक्त कर्मचारी की तलाश उसके खून के नमूने, विमंदित महिला के खून के नमूने व बेटी के खून के नमूने लेकर दिसंबर 2016 में एफएसएल में भेजे थे। वहां वैज्ञानिक डाॅ. जीके माथुर के नेतृत्व में डीएन रिपोर्ट तैयार की गर्इ। एक माह पहले मार्च में ही डीएनए रिपोर्ट मिली थी। इसमें खुलासा हुआ कि महिला से ज्यादती करने वाला मुख्य आरोपित वही था, सुकन्या उसी की संतान है। एफएसएल से मार्च 2017 में मिली डीएनए रिपोर्ट जवाहरनगर पुलिस ने महिला उत्पीड़न कोर्ट को भेज दी है।
तब हुआ था खुलासा महिला विमंदित गृह अधीक्षक आैर प्राचार्य ने दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करार्इ तब चौंकाने वाला खुलासा किया था। रिपोर्ट के मुताबिक विभागीय जांच में सामने आया था कि दुष्कर्म में गृह की अंशकालिक दो महिला कर्मचारियों का भी सहयोग रहा। दोनों बाहरी व गृह के कर्मियों से विमंदित महिलाआें से दुष्कर्म करवात थीं। इस पर पुलिस ने गृह के 3-4 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। इनमें सुकन्या की मां से दुष्कर्म का आरोपित भी शामिल था। पुलिस के मुताबिक 4-5 वर्ष जेल की सजा काटने के बाद आरोपित छूट गया था।
मगर बेटी को पहचानती नहीं सुकन्या 18 वर्ष से अधिक आयु की हुर्इ तो उसे नारी निकेतन में मां के पास भेजा गया। तब उसे पहली बार बताया गया कि वह अनाथ नहीं है। उसे मां से मिलवाया गया, लेकिन विक्षिप्त हाेने के कारण मां उसे पहचानती नहीं है।