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131 देशों में एक साल के दौरान सत्ता के खिलाफ मुखर हुईं ‘आवाजें’

locationजयपुरPublished: Dec 07, 2022 11:34:50 pm

Submitted by:

Aryan Sharma

आंदोलन : गिरफ्तारी, धमकी और प्रतिबंध से विरोध का दमन कर रहीं सरकारें75 फीसदी मामलों में विरोध करने के अधिकारों का हनन

131 देशों में एक साल के दौरान सत्ता के खिलाफ मुखर हुईं 'आवाजें'

131 देशों में एक साल के दौरान सत्ता के खिलाफ मुखर हुईं ‘आवाजें’

जोहान्सबर्ग. ईरान में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की मांग से लेकर अन्य देशों में ईंधन व खाद्य-पदार्थों की बढ़ती कीमतों सहित कई मुद्दों पर दुनियाभर के लोग अपनी राय देने, असंतोष जताने और न्याय की मांग के साथ सड़कों पर उतर रहे हैं। ऑनलाइन शोध मंच ‘सिविकस मॉनिटर’ (CIVICUS Monitor) के अनुसार एक साल (अक्टूबर, 2021 से सितंबर, 2022 के दौरान) में कम से कम 131 देशों में विरोध प्रदर्शन हुए। इनमें से अधिकांश प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे। वहीं 92 देशों में आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया गया। सत्ता को चुनौती देने के लिए सर्वाधिक प्रदर्शन यूरोप और मध्य एशियाई देशों में हुए।
रिपोर्ट से पता चलता है कि इस अवधि में जितने भी देशों में जनाक्रोश बढ़ा, उनमें से 75 फीसदी में विरोध करने के अधिकारों का हनन किया गया। प्रदर्शनों को दबाने या बाधित करने के लिए वैश्विक स्तर पर सरकारें सबसे पहले आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करती हैं। इसके बाद डरा-धमकाकर और प्रतिबंध लगाकर विरोध प्रदर्शन को कुचलने का प्रयास किया जाता है। महिलाओं, अश्वेतों, प्रवासियों और अन्य बहिष्कृत समूहों को अक्सर भेदभावपूर्ण व अन्यायपूर्ण व्यवहार के कारण कठोर दमन का सामना करना पड़ता है।

नकेल कसने के लिए अत्यधिक बल प्रयोग
वैश्विक देशों में विरोध प्रदर्शनों पर नकेल कसने के लिए अक्सर अत्यधिक बल प्रयोग भी किया जाता है। एक साल में 57 से अधिक देशों की सरकारों ने यह हथकंडा अपनाया, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून स्थापित करता है कि अत्यधिक बल का प्रयोग तभी किया जाए, जब हालात बेकाबू हो जाएं। चिंताजनक है कि कम से कम 24 देशों में शांतिपूर्वक विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों की जान चली गई। इनमें से ज्यादातर मौतें अमरीकी और अफ्रीकी क्षेत्र में हुईं।

ऑनलाइन पहुंच को नियंत्रित करती हैं सरकारें
वैश्विक सरकारों ने कोरोना महामारी का उपयोग विरोध के अधिकार सहित मौलिक स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने के बहाने के रूप में किया है। आलोचनात्मक आवाजों को दबाने के लिए वैश्विक सरकारें ऑनलाइन पहुंच को नियंत्रित कर रही हैं। विभिन्न देशों में विरोध की योजना बनाते समय आयोजकों को डराने-धमकाने, उत्पीड़न और निगरानी का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी प्रदर्शन से ठीक पहले उन्हें नजरबंद कर लिया जाता है। आंदोलन से पहले लगे ऐसे प्रतिबंध, भय और हिंसा का माहौल बनाकर लोगों को शांतिपूर्ण विरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने से हतोत्साहित करते हैं।

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