जयपुर

Global Warming : सेब का रंग किया फीका, आम हुआ बीमार

Global Warming : जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव, अनियमित वर्षा, बाढ़ और सूखे की समस्या का घातक असर बागवानी फसलों पर दिखने लगा है। आम, जामुन, सेब, लीची, अनार, खुबानी जैसी बागवानी फसलों पर शोध के दौरान जलवायु परिवर्तन का असर देखा गया है।

जयपुरJul 15, 2020 / 05:54 pm

hanuman galwa

Global Warming : सेब का रंग किया फीका, आम हुआ बीमार

सेब का रंग किया फीका, आम हुआ बीमार
दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव
जयपुर। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव, अनियमित वर्षा, बाढ़ और सूखे की समस्या का घातक असर बागवानी फसलों पर दिखने लगा है। आम, जामुन, सेब, लीची, अनार, खुबानी जैसी बागवानी फसलों पर शोध के दौरान जलवायु परिवर्तन का असर देखा गया है। कुछ क्षेत्रों में सेब का उत्पादन घट रहा है, जबकि कुछ स्थानों पर यह बढ़ रहा है। सेब में आकर्षक लाल रंग नहीं आ पा रहा है। कुछ फलों में फटने की शिकायत आ रही है, जबकि कुछ स्थानों पर बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है, जो फलों को बदसूरत बनाते हैं।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ के निदेशक शैलेंद्र राजन के अनुसार तापमान में उतार-चढ़ाव और वातावरण में नमी की मात्रा के कारण कीड़ों और बीमारियों ने बहुत से आम को बदसूरत कर दिया। बेमौसम बारिश के कारण, तापमान तुलनात्मक रूप से कम रहा और आम की फसल के पूरे मौसम में हवा में नमी अधिक रही, जिसके कारण इस साल आम के फल की त्वचा को प्रभावित करने वाले कीटों और बीमारियों का प्रकोप बढ़ा। तापमान में उतार-चढ़ाव और भारी गिरावट के बाद धूप वाले दिन के कारण सापेक्ष आद्र्रता में तेज बदलाव हुआ।
जामुन नहीं लगे
डॉ. राजन ने बताया कि इस साल जामुन की फसल बहुत से स्थानों पर अच्छी नहीं हुई और कहीं-कहीं पर तो कोई भी फल नहीं आए। वैसे भी सभी जामुन की किस्में सब जलवायु में समान रूप से नहीं चलती हैं। कहीं फसल अच्छी होती है और कहीं बिलकुल भी फल नहीं आते हैं। जलवायु परिवर्तन का असर जामुन की फसल पर इस बार देखने को मिला।
सेब का उत्पादन घटा
कश्मीर घाटी के निचले इलाके में भी सेब उत्पादन क्षेत्र में कमी आने की खबर आ रही है। तापमान बढऩे के कारण सेब, बादाम, चेरी आदि में कलियां दो-तीन सप्ताह पहले निकल जाती है, जो मार्च में अचानक बर्फ गिरने से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। तापमान बढऩे से चेरी और खुबानी के क्षेत्र में कमी आ रही है।
बागवानी प्रभावित
तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण अनार, लीची, अंजीर , चेरी और नींबू वर्गीय फलों में फटने की समस्या उत्पन्न हो रही है। वर्ष 2055 तक संतरे के बागवानी क्षेत्र में वृद्धि होने तथा नींबू के क्षेत्र में कमी आने की आशंका है।
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