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भगवान भरोसे वन्यजीव एक माह में नहीं आई वन्यजीवों की सैम्पलों की रिपोर्ट

locationजयपुरPublished: Jul 11, 2020 04:46:00 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

एक माह में वन विभाग को आईवीआरआई बरेली से रिपोर्ट नहीं मिली

भगवान भरोसे वन्यजीव एक माह में नहीं आई वन्यजीवों की रिपोर्ट

भगवान भरोसे वन्यजीव एक माह में नहीं आई वन्यजीवों की रिपोर्ट


नाहरगढ़ में मृत बिग कैट फैमिली के सदस्यों की मौत की रिपोर्ट और कोरोना में कोई खास फर्क नहीं है। फर्क है तो बस इतना कि कोरोना जब से आया है जाने का नाम नहीं ले रहा है और इन वन्यजीवों की टेस्ट रिपोर्ट जब से आईआरवीआई बरेली गई है आने का नाम नहीं ले रही है। कम से कम विभाग के अधिकारियों का कहना तो यही है कि लगता है रिपोर्ट को कोरोना हो गया। सवाल यह है कि क्या वास्तव में रिपोर्ट अब तक नहीं आई है या फिर अधिकारी और विभाग कुछ छुपाने का प्रयास कर रहा है। विभागीय अधिकारियों का इस रिपोर्ट को लेकर हर बार एक ही जवाब होता है बरेली से रिपोर्ट नहीं आई। डीएफओ सुदर्शन शर्मा का तो यहां तक कहना है कि लगता है रिपोर्ट को कोरोना हो गया है इसलिए क्वांरटाइन में है।
एक ओर जहां नाहरगढ़ बायो पार्क में बिग कैट फैमिली के दो सदस्यों की मौत हुए एक माह गुजर चुका है वहीं दूसरी ओर इन सदस्यों मौत किस बीमारी से हुई है यह अब तक पता नहीं चल सका है। कारण है एक माह में वन विभाग को आईवीआरआई बरेली से रिपोर्ट नहीं मिली है। इससे साफ पता चल रहा है कि वन्यजीवों की सुरक्षा वन विभाग के अधिकारियों के नहीं बल्कि भगवान के भरोसे हैं।
आपको बता दें कि नाहरगढ़ बायो पार्क में गत १० जून को बाघिन रंभा के शावक रुद्र और बब्बर शेर सिद्धार्थ की मौत हुई थी। इसके बाद जंगल केट और चिडि़याघर में नर शुतुरमुर्ग बाहुबली की भी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम के बाद मृत वन्यजीवों के कोरोना, रक्त, मूत्र और अन्य अंगों के सैम्पल लिए गए जिन्हें बरेली स्थित आरवीआरआई लैब में जांच के लिए भेजा गया था लेकिन अब तक वहां से रिपोर्ट नहीं मिली है। जिसके कारण अब तक यह पता ही नहीं चल सका है कि वन्यजीवों की मौत किस कारण से हुई।
इतना ही नहीं विभाग ने १४ बाघ बाघिन, शेर शेरनी और बघेरे के सैम्पल भी भेजे थे जिनकी रिपोर्ट भी नहीं मिली है। जबकि जयपुर स्थित पशुपालन विभाग की लैब में इनके सैम्पल भेजे गए थे जहां क्रिएटिनाइन के सामान्य से ज्यादा होने की पुष्टि हुई थी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आईवीआरआई बरेली में देशभर से सैम्पल आते हैं। वहां कई सेक्शन में जांच होती है। वहां कोरोना के सैम्पल भी आ रहे हैं एेसे में काम अधिक होने के कारण रिपोर्ट आने में देरी हो रही है।
हाथियों की रिपोर्ट का भी इंतजार
बिग कैट फैमिली के सदस्यों की मौत के बाद वन विभाग ने हाथी गांव में रह रहे हाथियों के स्वास्थ्य की भी जांच की। उनके कोरोना सहित मल मूत्र और रक्त सहित कई सैम्पल भेजे गए लेकिन उनकी रिपोर्ट के लिए भी वन विभाग का यही कहना है कि रिपोर्ट नहीं आई है।
आपको बता दें कि 6 महीने पहले केनाइन डिस्टेम्पर समेत दूसरी कई परेशानियों से सफेद बाघिन सीता, एशियाई शेरनी सुजैन और बाघ की मादा शावक रिद्धि की मृत्यु हो चुकी है। उसके बाद दो युवा एशियाई शेर तेजस और त्रिपुर की हालत भी बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। काफी मशक्कत से इन दोनों शेरों को बचाया गया। ये मुसीबत अभी टली ही थी कि दो दिन में बिग कैट परिवार दो और सदस्य लेप्टोस्पायरोसिस की वजह से मारे गए। डीसीएफ वाइल्डलाइफ सुदर्शन शर्मा का कहना था कि दोनों ही जीवों में लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण मिले थे।
8 माह पहले की थी प्लानिंग
आपको बता दें कि रभ्भा ने 18 माह पहले तीन शावकों को जन्म दिया था। उसके बाद राज्य सरकार ने नाहरगढ़ बायोपार्क में टाइगर सफारी शुरू करने की प्लानिंग की थी। जन्म ने चार दिन बाद ही एक शावक की मौत हो गई। उसके बाद एक नर और एक मादा शावक ही बचे थे। जिन्हें जन्म के छह माह बाद रूद्र और रिद्धी नाम दिया गया। रिद्धी की गत वर्ष 21 सितंबर को मौत हो गई और अब रूद्र भी नहीं बचा।
पहला मामला नहीं
आपको यह भी बता दें कि गोल्डन बाघिन रभ्भा के एक शावक रूद्र की मौत का यह पहला मामला नहीं है। 19 सितंबर को शेरनी सुजान, 21 को शावक रिद्धि और 26 सितंबर को सफेद बाघिन सीता की मौत हो गई थी। जबकि देश भर में सफेद बाघों की संख्या काफ ी कम है। एक लाख बाघ में एक ही सफेद बाघ पैदा होता है। इतना ही नहीं जूनागढ़ से लाई गई बाघिन सुजैन की मौत भी यहां संदिग्ध परिस्थितियों में हो चुकी है। शेरनी तेजिका की मौत भी नाहरगढ़ बायो पार्क में हुई और उसकी मौत की वजह लकवे को माना गया था।
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