8 माह पहले की थी प्लानिंग
आपको बता दें कि रभ्भा ने 18 माह पहले तीन शावकों को जन्म दिया था। उसके बाद राज्य सरकार ने नाहरगढ़ बायोपार्क में टाइगर सफारी शुरू करने की प्लानिंग की थी। जन्म ने चार दिन बाद ही एक शावक की मौत हो गई। उसके बाद एक नर और एक मादा शावक ही बचे थे। जिन्हें जन्म के छह माह बाद रूद्र और रिद्धी नाम दिया गया। रिद्धी की गत वर्ष 21 सितंबर को मौत हो गई और अब रूद्र भी नहीं बचा।
पहला मामला नहीं
आपको यह भी बता दें कि गोल्डन बाघिन रभ्भा के एक शावक रूद्र की मौत का यह पहला मामला नहीं है। 19 सितंबर को शेरनी सुजान, 21 को शावक रिद्धि और 26 सितंबर को सफेद बाघिन सीता की मौत हो गई थी। जबकि देश भर में सफेद बाघों की संख्या काफ ी कम है। एक लाख बाघ में एक ही सफेद बाघ पैदा होता है। इतना ही नहीं जूनागढ़ से लाई गई बाघिन सुजैन की मौत भी यहां संदिग्ध परिस्थितियों में हो चुकी है। शेरनी तेजिका की मौत भी नाहरगढ़ बायो पार्क में हुई और उसकी मौत की वजह लकवे को माना गया था।