तीनों घोड़ों की अलग खासियत
पुलिस लाइन के अस्तबल में मौजूदा समय में 21 घोड़ें हैं। इनमें से ये तीन घोड़े ऐसे हैं, जो खास अनुभव रखते हैं। इन तीनों ही घोड़ों की नाम की तरह खासितय भी अलग अलग है। घुड़सवार पुलिस के प्रभारी निरीक्षक प्रेम बाबू ने बताया कि चेतक काले रंग का है। इसका दौड़ने में कोई मुकाबला नहीं है। जब चेतक दौड़ता है, तो हवा से बातें करता है। तेजस की छलांग काफी अच्छी है। छह फीट ऊंची दीवार को तेजस आसानी से छलांग जाता है वहीं सोनू भी दौड़ने में माहिर है।
पुलिस लाइन के अस्तबल में मौजूदा समय में 21 घोड़ें हैं। इनमें से ये तीन घोड़े ऐसे हैं, जो खास अनुभव रखते हैं। इन तीनों ही घोड़ों की नाम की तरह खासितय भी अलग अलग है। घुड़सवार पुलिस के प्रभारी निरीक्षक प्रेम बाबू ने बताया कि चेतक काले रंग का है। इसका दौड़ने में कोई मुकाबला नहीं है। जब चेतक दौड़ता है, तो हवा से बातें करता है। तेजस की छलांग काफी अच्छी है। छह फीट ऊंची दीवार को तेजस आसानी से छलांग जाता है वहीं सोनू भी दौड़ने में माहिर है।
होती है खास ट्रेनिंग
घुड़सवार पुलिस के प्रभारी निरीक्षक प्रेम बाबू ने बताया कि पुलिस लाइन में घोड़ों को छह महीने तक खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। जब इन्हें खरीदकर लाया जाता है तो पहले एक महीने तक अस्तबल में बांधकर घुमाया जाता है। इसके बाद मुंह में लगाम लगाकर खाली कंबल बांधकर घुमाया जाता है। जीन लगाई जाती है और फिर इन पर राइडिंग की जाती है। इन्हें अच्छे काम और खराब काम की सीख देने के लिए गुड़ खिलाया जाता है। यदि कुछ गलती की तो डंडा मारा जाता है। धीरे-धीरे घोड़ा समझने लगता है कि क्या ठीक है और क्या गलत।
घुड़सवार पुलिस के प्रभारी निरीक्षक प्रेम बाबू ने बताया कि पुलिस लाइन में घोड़ों को छह महीने तक खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। जब इन्हें खरीदकर लाया जाता है तो पहले एक महीने तक अस्तबल में बांधकर घुमाया जाता है। इसके बाद मुंह में लगाम लगाकर खाली कंबल बांधकर घुमाया जाता है। जीन लगाई जाती है और फिर इन पर राइडिंग की जाती है। इन्हें अच्छे काम और खराब काम की सीख देने के लिए गुड़ खिलाया जाता है। यदि कुछ गलती की तो डंडा मारा जाता है। धीरे-धीरे घोड़ा समझने लगता है कि क्या ठीक है और क्या गलत।
भीड़ में चलने की दी जाती है ट्रेनिंग
घोड़ों को भीड़ में चलने की ट्रेनिंग दी जाती है। कई तरह की चाल सिखाई जाती हैं। पहली चाल होती है कदम-कदम। इसमें घोड़ा आराम से चलता है। दूसरी चाल दुलकी होती है। इस चाल में राइडर तो थकता है, लेकिन घोड़े को आराम रहता है। इसके बाद कैंटर चाल सिखाई जाती है, जिसमें घोड़ा भी थकता है और राइडर भी। जब कहीं दूर तेज रफ्तार से जाना हो तो दुलकी चाल से घोड़ा दौड़ता है। इसके बाद घोडे के सामने पुलिस की वर्दी पहनाकर लोगों की डमी डालकर इन्हे चलाया जाता है। इसमें इन्हे ये सिखाया जाता है कि भीड़ में किस तरह से ये लोगों को बचाकर चले। पटाखों और बैंडबाजे का डर खत्म करने के लिए पहले ताली बजाकर चलाया जाता है फिर बाल्टी बजाते है। इसके बाद हल्के फुल्के पटाखा फोड़े जाते हैं।
घोड़ों को भीड़ में चलने की ट्रेनिंग दी जाती है। कई तरह की चाल सिखाई जाती हैं। पहली चाल होती है कदम-कदम। इसमें घोड़ा आराम से चलता है। दूसरी चाल दुलकी होती है। इस चाल में राइडर तो थकता है, लेकिन घोड़े को आराम रहता है। इसके बाद कैंटर चाल सिखाई जाती है, जिसमें घोड़ा भी थकता है और राइडर भी। जब कहीं दूर तेज रफ्तार से जाना हो तो दुलकी चाल से घोड़ा दौड़ता है। इसके बाद घोडे के सामने पुलिस की वर्दी पहनाकर लोगों की डमी डालकर इन्हे चलाया जाता है। इसमें इन्हे ये सिखाया जाता है कि भीड़ में किस तरह से ये लोगों को बचाकर चले। पटाखों और बैंडबाजे का डर खत्म करने के लिए पहले ताली बजाकर चलाया जाता है फिर बाल्टी बजाते है। इसके बाद हल्के फुल्के पटाखा फोड़े जाते हैं।