ऐसा नहीं करते अच्छे पेरेंट्स
बच्चों की परवरिश कोई आसान काम नहीं होता। पेरेंट्स के लिए यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। उन्हें बहुत सी बातों का ध्यान रखते हुए नन्हीं कलियों को जिंदगी के पथ पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ाना होता है। पेरेंट्स को महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है और उस पर अमल करना होता है। पेरेंट्स को कुछ बातों से बचना चाहिए।

न पीटें, न डांटें
पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि पिटाई केवल शारीरिक रूप से ही बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाती। इसका असर साइकोलॉजी पर भी पड़ता है। इससे कुछ बच्चे न केवल जीवनभर के लिए मन में द्वेष पाल लेते हैं, बल्कि कुछ तो विद्रोही किस्म के बन जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वे बच्चे को अनुशासित करने के लिए ग़ुस्सा बिल्कुल भी नहीं करें और ना ही बच्चों पर चिल्लाएं या उन्हें डांटें।
हर जिद न मानें
पेरेंट्स को अपने बच्चे की जिद के आगे कभी भी नहीं झाुकना चाहिए। बच्चे की हर एक जिद मान लेने से उनकी आदत खराब होती है। जरूरी है कि आप बच्चे के लिए सीमाएं तय करें और देखें कि उसकी वाजिब जरूरत क्या है या कौनसी चीज उसके लिए गैर जरूरी है।
तुलना नहीं
बच्चों के जीवन में पेरेंट्स की भूमिका का गहरा असर पड़ता है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों के लालन-पालन में कोई कमी न छोड़े। कई पेरेंट्स अपने बच्चों को दूसरे बच्चों से तुलना कर कमजोर साबित करते हैं। पेरेंट्स को इस आदत से बचना चाहिए।
उन्हें लालच न दें
पेरेंट्स महंगे खिलौनों से लेकर, ड्रेसेज तक सब कुछ बच्चों को खरीद कर देते हैं। लेकिन कई बार इन महंगी चीजों से लेकर आइसक्रीम तक अभिभावक बच्चों को खुश रखने, काम पूरा करवाने या फिर उनको शांत करने के लिए लालच के रूप में दिलाते हैं। माना कभी-कभार कुछ चीजें खरीद कर देना ठीक है, लेकिन उन्हें हर काम पर कुछ न कुछ लालच देना बिल्कुल गलत है। इससे बच्चों की आदत खराब होती है।
अधिक सख्त नहीं
माना पेरेंट्स के रूप में आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप बच्चों को अनुशासित बनाए रखें। उन्हें सही-गलत का तरीका बताते रहें। लेकिन यह सब कुछ सहज और स्नहे-प्यार से होना चाहिए। बच्चों पर अधिक सख्त होने और उन्हें हमेशा टोकते रहने की आदत से बचना चाहिए।
निराशा में साथ
किसी भी माामले में बच्चे के परेशान होने पर पैरेंट्स की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे शांत रहें तथा बच्चे की विफलता पर भी घृणा या निराशा के भाव का प्रदर्शन न करें। बच्चे को एहसास कराएं कि वे उसकी परेशानी में उसके साथ हैं।
सामंजस्य जरूरी
पेरेंट्स के रूप में जहां बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी बनती है, वहीं एक पति के रूप में भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर होती है। परिवार के मुखिया के तौर पर अपने बच्चों और पत्नी के बीच सामंजस्य बनाकर सभी के उत्तरदायित्वों को बेहतर तरीके से निभाया जाना चाहिए। ना बच्चों के चक्कर में पत्नी के अधिकारों का हनन होना चाहिए और ना ही पत्नी के कारण बच्चों की उपेक्षा की जानी चाहिए। इस तरह सामजंस्य बिठाकर घर की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को आराम से निभाया जा सकता है।
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