याददाश्त को प्रभावित कर सकती है नींदअच्छी नींद लेने से पुरानी यादें मस्तिष्क में फिर से स्टोर होती हैं। कम नींद लेने से तंत्रिका कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी वजह स्लीप एप्नीया के मरीजों में अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।[typography_font:14pt;” >सोने का सही समय नींद की गुणवत्ता को सुधारने के साथ ही स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। यदि रात में अच्छी नींद नहीं ली तो दिमाग में उस प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो अल्जाइमर और पार्किसंस जैसे रोग की आशंका को बढ़ाता है। हाल ही अमरीका की ‘करंट बायोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से सामने आया कि व्यक्ति के सोने के तरीके का विश्लेषण करके भविष्य में अल्जाइमर की आशंका का अनुमान लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार अल्जाइमर को रोकने के लिए पर्याप्त नींद लेना महत्त्वपूर्ण है।सोने से पहले तलवों की करें मालिश-सोने से पहले गुनगुने पानी से घुटनों के नीचे से पैरों को धो लें। फिर घी या तेल से तलवों की मालिश करें। अच्छी नींद आएगी। -खाने के बाद कुछ देर तक टहलें और सोते समय एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच मुलैठी या तगर का पाउडर मिलाकर लें।-नींद की गुणवत्ता को सुधारने के लिए रात में सोने से दो घंटे पहले हल्का भोजन कर लें।-देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप का प्रयोग नहीं करना चाहिए।