scriptभारत में गोशर रोग काफी प्रचलित | Gosher Disease : Very Prevalent in India, Treatment | Patrika News

भारत में गोशर रोग काफी प्रचलित

locationजयपुरPublished: Oct 30, 2019 03:55:03 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

Gosher Disease : India में Gosher रोग काफी प्रचलित है। हां यह भी True है कि इसके बारे में आज की तारीख में कोई Data Available नहीं हा सके हैं। गोशर के Treatment के रूप में केवल Enzyme Replacement Therapy एकमात्र इलाज है। इसलिए, हमें न केवल उपचार की लागत को कम करने के लिए Government के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, बल्कि Insurance Companies को उपचार की लागत को अधिक किफायती बनाने की आवश्यकता है।

doctor

doctor

Gosher Disease : जयपुर . भारत ( India ) में गोशर ( Gosher ) रोग काफी प्रचलित है। हां यह भी सच ( True ) है कि इसके बारे में आज की तारीख में कोई आंकड़े उपलब्ध ( Data Available ) नहीं हा सके हैं। गोशर के इलाज ( Treatment ) के रूप में केवल एन्जाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी ( Enzyme Replacement Therapy ) एकमात्र इलाज है। इसलिए, हमें न केवल उपचार की लागत को कम करने के लिए सरकार ( Government ) के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, बल्कि बीमा कम्पनियों ( Insurance Companies ) को उपचार की लागत को अधिक किफायती बनाने की आवश्यकता है। भारत एक फार्मा हब है, सरकार को दवा निर्माण के लिए दवा कम्पनियों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि दवा की लागत कम हो सके।

वल्र्ड गोशर मंथ के दौरान डॉक्टरों ने भारत में गोशर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। सैंडर लाइफ साइंसेज की सलाहकार डॉ. राधा रामादेवी ने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार इस प्रकार के मरीजों के इलाज के लिए 100 करोड़ रुपए जारी करे। रोगियों दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति 2017 को लागू करे, जिसे सरकार ने रोक दिया था। एलएसडीएसएस के अनुसार, भारत में गोशर रोग की प्रसार दर एक लाख रोगियों में एक है। हालांकि, भारत की जनसंख्या को देखते हुए यह संख्या कहीं अधिक होगी।

लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी (एलएसडीएसएस) की सचिव शशांक त्यागी ने बताया कि भारत में, लगभग 250 गोशर रोग के रोगी हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत बच्चे हैं। गोशर और अन्य दुर्लभ बीमारियों का मैनेजमेंट करना बेहद मुश्किल है। मरीजों के संघर्ष में और क्या वृद्धि होती है, उपचार और दवा के लिए अक्षमता के साथ सीमित संख्या के विशेषज्ञ और सेवा केन्द्र हैं। सरकार को रेयर डिसीज यानी दुर्लभ रोग (एनपीटीआरडी) के लंबित नेशनल पॉलिसी ट्रीटमेंट पर मरीजों की दुर्दशा को समझने की जरूरत है।

लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर सपोर्ट सोसाइटी (एलएसडीएसएस) का नेतृत्व एलएसडी मरीजों के माता-पिता के एक समूह द्वारा किया जाता है। भारत में दर्ज की जाने वाली सबसे आम दुर्लभ बीमारियां हैं लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, हंटर सिंड्रोम, गोशर रोग और फैब्री रोग। किसी भी अन्य दुर्लभ विकार के विपरीत एलएसडी का निदान दुर्लभ विकार वाले किसी भी व्यक्ति के लिए पहली और सबसे महत्वपूर्ण और निराशाजनक चुनौती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो