जयपुर

राजस्थान के इस राज्यपाल ने सादगी में सबको छोड़ा पीछे

राजस्थान के इस राज्यपाल ने सादगी में सबको छोड़ा पीछे

जयपुरSep 01, 2019 / 12:21 pm

PUNEET SHARMA

राजस्थान के इस राज्यपाल ने सादगी में सबको छोड़ा पीछे


राजभवन में राज्यपाल के लिए कर्मचारियों की फौज, राज्यपाल के एक इशारे पर उनकी सेवा में हाजिर। लेकिन मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह का बीते पांच साल में इस कर्मचारियों की इस इस फौज से ज्यादा वास्ता रहा और न ही राजभवन के आलीशान और आधुनिक साज सज्जा से सजे कमरों से ज्यादा वास्ता रहा। राज्यपाल कल्याण सिंह ने बीते पांच साल अपना खाना अपने हाथ से बनाया। इतना ही नहीं राजभवन के आलीशान शानोशौकत वाले कमरों को छोड अपने रहने के लिए भी राजभवन का सबसे छोटा कमरा ही लिया।
राज्यपाल कल्याण सिंह का कार्यकाल दो दिन बाद यानि 3 सितंबर को पूरा हो रहा है। कल्याण सिंह जब राजस्थान के राज्यपाल बन कर आए तो राजभवन ने पूरी तैयारी की। रसोइ से लेकर सोने तक के कमरों की विशेष व्यवस्था की। लेकिन राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजभवन को सादा जीवन और उच्च विचारों का संदेश दिया । राजभवन में एक से बढ कर एक रसोईयां होने के बाद भी पूरे पांच साल अपना खाना खुद ही बनाया।
राजभवन के कर्मचारी बताते हैं कि कभी कभी आंखों से कम दिखने के कारण खाना बनाने में परेशानी आती थी लेकिन वे चश्मे का सहारा लेते और अपना खाना खुद ही बनाते। हां इतना जरूर था कि उनके रसोई में रहने के दौरान राजभवन के कर्मचारी बराबर वहां मौजूद रहते थे जिससे अगर कोई जरूरत हो तो खाना बनाने की सामग्री उपलब्ध करा दें।
राजभवन के अधिकारियों का कहना है कि वे पूरे पांच साल उन्होंने राज्यपाल कल्याण सिंह की सादगी को भी देखा। उनके सोने के लिए बेहतर साज सज्जा वाला और बडा कमरा तैयार कराया। लेकिन राज्यपाल कल्याण सिंह ने अपने सोने के लिए राजभवन का सबसे छोटा कक्ष ही चुनाव। उनका एक ही संदेश होता था कि व्यक्ति को थोडे में भी संतुष्ठ रहने की आदत डालनी चाहिए।
राज्यपाल कल्याण सिंह पूरे पांच साल अपने फैंसलों पर भी अटल रहने के लिए जाने जाते रहे। सरकार बदलते ही विधान सभा सत्र बुलाने पर विवाद हो गया। सरकार की प्रार्थना पर उन्होंने सत्र आहूत करने की अनुमति दे दी। इस पर विधान सभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने आपित्त दर्ज कराई। लेकिन राज्यपाल कल्याण सिंह ने विधान सभा अध्क्ष कैलाश मेघवाल को साफ कह दिया कि वे फैसला ले चुके है। आपको आपत्ति थी तो पहले आना चाहिए था।
देश के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह में हावी रहे अंग्रेजी लिबास केा बदलने वाले देश के पहले राज्यपाल है। दीक्षांत समारोह की पोषाक बदलने की शुरूआत उन्होंने राजस्थान से की।

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